Amit Shah का नया कानून Love Jihad और Metoo मामले पर लगाएगा अंकुश

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देश में मौजूद कानून को बदलने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा में सुधार करने के लिए 3 विधेयक को पेश किया है. अमित शाह (Amit Shah) ने 1860 से लेकर 2023 तक देश की अपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने का प्रयास किया है. नया कानून Love Jihad और Metoo मामले पर लगाएगा अंकुश.
इसी के तहत मोब लिंचिंग मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. नाबालिग से रेप के मामले में भी मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. राजद्रोह के कानून में भी बड़ा बदलाव इस विधेयक के अंतर्गत किया गया है. हेट स्पीच पर भी सजा का प्रावधान है.
2027 तक देश में मौजूद सभी कोर्ट को ऑनलाइन करने का दावा किया गया है. अमित शाह ने यह भी कहा कि जो विधेयक पेश किया गया है अगर वह कानून बन जाता है, तो 533 पुरानी धाराएं खत्म होंगी जिनकी जगह 133 नई धाराएं लेने वाली है. जबकि 9 धाराओं को बदला गया है. इन सबका मकसद यह है कि अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही कानून की व्यवस्था को पूरी तरह से आज के अनुसार बदल दिया जाए.
नाम बदलकर शारीरिक संबंध स्थापित करने वाले के लिए भी सजा का प्रावधान है. जिसके बाद लव जिहाद को रोकने में मदद मिलेगी और MeToo जैसे मामले पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा. कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ अपना पहचान छुपा कर शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे सजा मिले देश में अब तक ऐसा कोई कानून नहीं है. इसी वजह से लव जिहाद जैसी मामले तेजी से बढ़ रहे थे. नए कानून के बाद अब इस पर रोक लगा सकेगी.
खुद अमित शाह ने अपने बयान में यह कहा है कि नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनके सामने आने वाली कई सामाजिक समस्याओं का समाधान किया गया है. पहली बार ऐसा हो रहा है कि अपनी पहचान छिपाकर और झूठे वादे करके महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में लाया गया है.
मुंबई हाई कोर्ट के सीनियर वकील का यह कहना है कि भले ही पुलिस इस कानून का इस्तेमाल लव जिहाद या इस तरह के दूसरे मामलों को रोकने के लिए करें. लेकिन इस कानून को बनाने का मुख्य उद्देश्य लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे लोगों को सिक्योरिटी देने, झूठे वादे करके शादी से मुकरने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए बनाया गया है. इसका फायदा देश की जनता को जरूर मिलेगा.
आपको बता दे की रेप के मामले में न्यूनतम सजा 7 साल की थी. वहीं बाकी अन्य मामलों में भी सजा काफी कम थी. ऐसे में हर मामले में लगभग सजा को बढ़ाया गया है. इस पर सरकार की तरफ से यह कहा गया है कि हम सजा पर नहीं बल्कि इंसाफ पर जोर दे रहे हैं. सजा अधिक होगी तो अपराधियों की मानसिकता बदलने में मदद मिलेगी.
नए विधेयक में काफी कुछ बदलाव सराहनीय देखने को मिले हैं. रेप पीड़िता की पहचान को उजागर करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान रखा गया है. अब ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार के इस बदलाव के बाद क्या कानून व्यवस्था में वह बदलाव आता है जिसकी जनता को उम्मीद है.

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