चीन के निशाने पर देश की अर्थव्यवस्था, 1400 हस्तियों की जासूसी

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कोरोना वायरस  के वैश्विक फैलाव के बीच अमेरिका ने जब चीन के खिलाफ कड़े तेवर अपनाए तो उसके निशाने पर सबसे पहले नीमचीन चीनी टेलीकॉम कंपनी हुआवेई आई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का साफ-साफ कहना था कि चीनी कंपनी अपने कामकाज के जरिये वास्तव में कम्युनिस्ट सरकार के लिए जासूसी करती है. हुआवेई समेत जिनपिंग  सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. हालांकि सोमवार को देश के बड़े अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने खुलासा किया कि चीन देश के 10 हजार से अधिक राजनीतिक हस्तियों की जासूसी कर रहा है. इसी अखबार ने मंगलवार को अपनी खोजपरक मुहिम की दूसरी कड़ी में खुलासा किया है कि ड्रैगन भारतीय अर्थव्यवस्था  में भी गहरी पैठ बनाए हुए है. जासूसी की व्यापकता का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि ड्रैगन की निगरानी सूची में भारतीय रेलवे के इंटर्न से लेकर अजीम प्रेमजी  की एक कंपनी के सीआईओ तक शामिल हैं. चीन की निगरानी की सूची में आए लोगों में वेंचर कैपिटलिस्ट, एंजल इन्वेस्टर्स, फाउंडर्स और चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर्स शामिल हैं. यही नहीं, इस लिस्ट में भविष्य के लिहाज से उभरते स्टार्टअप्स, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और फॉरेन इन्वेस्टर्स भी शामिल हैं.

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के बीच ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खोजी पत्रकारिता के जरिये सामने आया है कि चीन अपनी एक कंपनी के जरिए भारत के करीब 10 हजार से ज्यादा हस्तियों और संगठनों की जासूसी कर रहा है. इतना ही नहीं, वह दुनियाभर में अमेरिका, ब्रिटेन समेत 24 लाख लोगों की जासूसी कर रहा था. इंडियन एक्सप्रेस ने सोमवार को ही खुलासा किया था कि चीन की जासूसी लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सीजेआई बोबडे जैसी हस्तियां शामिल हैं. अखबार ने मंगलवार को अपने खुलासे की दूसरी कड़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था के भीतर चीन के गहरे जमे जासूसी तंत्र के बारे में बताया है. चीन की सेना और खुफिया एजेंसी से जुड़ी कंपनी झेन्‍हुआ डाटा इंफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी कंपनी लिमिटेड ने जो ओवरसीज की इंडिविजुअल डेटाबेस (OKIDB) तैयार किया है, उसमें भारत के अर्थ जगत से कम से कम 1,400 लोग, संगठन या कंपनियां शामिल हैं.

भारतीय अर्थ जगत की जिन हस्तियों की जासूसी की जा रही है, उनमें महिंद्रा ग्रुप के ग्रुप सीएफओ अनीश शाह, रिलायंस ब्रैंड्स के सीटीओ पीके थॉमस, अजीम प्रेमजी की बनाई हुई वेंचर कैपिटल कंपनी प्रेमजी इन्वेस्ट के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर टीके कुरियन, रिलायंस रिटेल के चीफ एग्जिक्यूटिव ब्रायन बेड और मॉर्गन स्टैनली के कंट्री हेड विनीत सेखसारिया जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं. गौरतलब है कि भारतीय स्टार्टअप्स में चीनी निवेश बीते तीन सालों में 10 गुना से ज्यादा बढ़ा है. 2016 में भारतीय स्टार्टअप्स में चीनी निवेश जहां 381 मिलियन डॉलर था, जो 2019 में बढ़कर 4.6 बिलियन डॉलर हो गया.

ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट, ऑनलाइन फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म जौमैटो और स्विगी के शीर्ष अधिकारियों की भी चीन निगरानी कर रहा है. फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर बिन्नी बंसल, ऊबर इंडिया के ड्राइवर ऑपरेशंस के हेड पवन वैश, पेयू के बिजनस हेड नमीत पोटनीस, नाइका की को-फाउंडर और सीईओ फाल्गुनी नायर, जोमैटो के फाउंडर और सीईओ दीपींदर गोयल और स्विगी के को-फाउंडर और सीईओ नंदन रेड्डी की भी जासूसी हो रही है. इतना ही नहीं, आईआईटी जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों के निदेशकों तक की चीन जासूसी कर रहा है. इनमें आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रफेसर अभय करांदिकर और आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर दीपक बी. पाठक भी शामिल हैं. भारतीय अर्थ जगत में जिन्हें सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है, उनमें वेंचर कैपिटलिस्ट्स और एंजेल इन्वेस्टर्स शामिल हैं. इसके अलावा कंपनियों/स्टार्टअप्स के संस्थापकों, सीईओ, सीएफओ, सीटीओ और सीओओ को भी बड़े पैमाने पर निशाना बनाया गया है.

भारत में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल हेल्थ सेक्टर और डिजिटल एजुकेशन सेक्टर की भी चीन निगरानी और जासूसी कर रहा है. भारत के प्रमुख डिजिटल पेमेंट एप्स भी डाटा बेस में शामिल हैं. सिप्ला के सहयोग से चल रही डिजिटल थेरेपी चलाने वाला स्टार्टअप वेल्थी थेरप्यूटिक्स. बेंगलुरु स्थित हेल्थकेयर स्टार्टअप स्ट्रैंड लाइफ साइंस, ग्रामीण भारत में हेल्थकेयर सर्विस उपलब्ध कराने वाले ग्रामीण हेल्थकेयर चीनी जासूसी का निशाना बने हैं. इसी तरह मैट्रिक्स पार्टनर इंडिया, कलारी कैपिटल, सीड फंड, फायरसाइड वेंचर्स जैसे एंजेल इन्वेस्टर्स और वेंचर कैपिटलिस्ट्स की भी जासूसी की जा रही है. मैट्रिक्स पार्टनर का ओला, प्रैक्टो और रेजर पे में ठीक-ठाक शेयर है. इसी तरह कलारी केपिटन के पोर्टफोलियो में स्नैपडील, माइंत्रा और अर्बन लैडर जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां शामिल हैं.

पेटीएम, रेजरपे और फोन पे जैसी भारत की शीर्ष डिजिटल पेमेंट कंपनियां भी चीनी जासूसी के जाल से अछूती नहीं है. इसके अलावा पाइन लैब्स, एवेन्यूज पेमेंट्स, एफएसएस जैसी पेमेंट्स कंपनियों की भी चीन जासूसी कर रहा है. एफएसएस पेमेंट्स का आईआरसीटीसी जैसे दिग्गजों के साथ पार्टनरशिप है. इसी तरह बायजु, अड्डा247, ओलाइवबोर्ड जैसे टॉप लर्निंग एप्स की भी जासूसी हो रही है. यहां तक कि जापान की इन्वेस्टमेंट फंड वाली कई कंपनियां भी चीन की निगरानी सूची में शामिल हैं. इनमें भी शॉप किराना, यूलू और गेमिंग मांक जैसे नाम प्रमुख हैं. और तो और जर्मन स्टार्टअप्स जो भारत में निवेश की संभावनाओं को परख रहा थे, वह भी इस सूची में शामिल हैं.

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