नईदिल्ली : अगस्ता वेस्टलैंड डील के लेकर बड़ा खुलाशा हुआ है। क्रिश्चियन मिशेल की डायरी से बात निकल कर आ रही है कि भारत के सबसे रसूखदार सियासी परिवारों में से एक परिवार को अगस्ता वेस्टलैंड डील को अंजाम तक पहुंचाने के लिए 1.6 करोड़ यूरो यानि 115 करोड़ रुपये की घूस दी गई थी।
क्रिश्चियन मिशेल की डायरी से सबूत मिलते हैं कि किस तरह पर्दे के पीछे रह कर बिचौलियों ने मनमोहन सिंह सरकार के वक्त 3600 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रेक्ट को अंजाम तक पहुंचाया। मनमोहन सिंह सरकार ने इस कॉन्ट्रेक्ट पर 2010 में मुहर लगायी थी। मिशेल के इन नोट्स को इटली की पुलिस ने जब्त किया और बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के हवाले कर दिया। इनसे पता चलता है कि अगस्ता वेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमैकेनिका ने 5.2 करोड़ यूरो यानि 373 करोड़ रुपये का बजट भारत में डील को अंजाम देने के लिए घूस के लिए रखा हुआ था। ये घूस भारत में उन लोगों को दी जानी थी जिनके पास डील से जुड़े फैसले लेने की ताकत थी।
15 मार्च 2008 की एक एंट्री में मिशेल ने भारत के शीर्ष नेताओ का नाम लिया था जो सरकारी पदों के अलावा सरकार से बाहर भी थे। मिशेल की एक चिट्ठी में पढ़ा जा सकता है- ‘वीआईपी के पीछे ड्राईविंग फोर्स श्रीमती गांधी हैं, वो अब आगे से Mi-8 में उड़ान नहीं भरेंगी.’ इसमें कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के प्रमुख सलाहकारों में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिह और अहमद पटेल का उल्लेख किया था। मिशेल की डायरि से खुलासा होता है कि संभवत 60 लाख यूरो भारतीय वायुसेना के अधिकारियों को, 84 लाख यूरो नौकरशाहों को और 1.5 से लेकर 1.6 करोड़ यूरो एक राजनीतिक परिवार को दिए गए।
मिशेल के दावों के मुताबिक उसने भारत में रसूखदार लोगों को घूस दी। जिन्होंने रूसी और अमेरिकी चॉपर्स को खारिज करने में मदद की. मिशेल ने इसके अलावा नोट्स में पीएमओ, एसपीजी ,सीवीसी और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के संपर्क में होने का भी जिक्र किया है।