ऑनलाइन क्लास करने के लिए कम से कम 27 प्रतिशत छात्रों की स्मार्टफोन या लैपटॉप तक पहुंच ही नहीं है. जबकि 28 प्रतिशत छात्र और अभिभावक बिजली की समस्या को एक प्रमुख रूकावट मानते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.
एनसीईआरटी के सर्वेक्षण में केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के छात्रों, अभिभावको, शिक्षकों और प्राचार्यो सहित 34,000 लोगों ने हिस्सा लिया था . इनका कहना था कि प्रभावी शैक्षणिक उद्देश्य के लिए उपकरणों के उपयोग की जानकारी की कमी और शिक्षकों में ऑनलाइन शिक्षा के तरीकों की पूरी जानकारी नहीं होने के कारण भी पढ़ाई में बाधा आती है.
एनसीईआरटी सर्वेक्षण के अनुसार, “करीब 27 प्रतिशत छात्रों ने स्मार्टफोन या लैपटॉप उपलब्ध नहीं होने की बात कही. कोविड-19 के दौरान पठन पाठन के माध्यम के रूप में अधिकतर पक्षकार मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं.” इसमें कहा गया है कि करीब 36 प्रतिशत छात्र पाठ्यपुस्तक और उनके पास उपलब्ध किताबों का उपयोग कर रहे हैं. शिक्षकों एवं प्राचार्यो के बीच लैपटॉप दूसरा सबसे अधिक पसंदीदा विकल्प है. महामारी की स्थिति में पठन पाठन के लिए टेलीविजन और रेडियो सबसे कम उपयोग में आने वाला उपकरण है. पक्षकारों ने छात्रों और शिक्षकों के बीच बेहतर संवाद की कमी को एक कारण के रूप में पाया है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि लगभग सभी संबद्ध राज्य शिक्षण प्राप्त करने वालों की प्रगति पर नजर रखने के लिए भौतिक या गैर डिजिटल माध्यम का उपयोग करते हैं और इनमें से अधिकतर में शिक्षक घर जाते हैं या फोन काल का उपयोग करते हैं. करीब आधे छात्रों ने कहा कि उनके पास स्कूली पाठ्यपुस्तकें नहीं है. हालांकि एनसीईआरटी की वेबसाइट और दीक्षा पोर्टल पर ई पुस्तकें उपलब्ध हैं. छात्रों में ई पाठ्यपुस्तक को लेकर जागरूकता की कमी दिखी है. इसका एक कारण यह सामने आया है कि छात्र पाठ्यपुस्तक की हार्डकापी का उपयोग पढ़ाई के लिए करते हैं .
अधिकतर पक्षकारों का कहना है कि ऑनलाइन माध्यम से गणित विषय की पढ़ाई कठिन है क्योंकि इसमें कई तरह के सिद्धांत होते हैं. इनमें बच्चों के साथ शिक्षकों का संवाद, सतत सहयोग और निगरानी की जरूरत होती है. ऑनलाइन माध्यम में इसकी कमी होती है. गणित और विज्ञान में कई सिद्धांत के साथ प्रयोग भी होते हैं. ऐसे कई प्रयोग केवल प्रयोगशालाओं में शिक्षकों की निगरानी में ही संभव होते हैं. कुछ पक्षकारों ने सामाजिक विज्ञान विषय की आनलाइन माध्यम से पढ़ाई को कठिन बताया है.
एनसीईआरटी के सर्वेक्षण में कहा गया है कि करीब 17 प्रतिशत छात्रों ने भाषा की पढ़ाई को ऑनलाइन माध्यम से कठिन बताया. करीब 10 प्रतिशत पक्षकारों ने कला शिक्षा को इस माध्यम से चिंता का विषय बताया.
16 मार्च से ही देश में विश्वविद्यालय और स्कूल बंद हैं जब सरकार ने कोविड-19 महामारी को रोकने के उपाय के तहत कक्षाओं को बंद करने की घोषणा की थी. शैक्षणिक संस्थानों के लंबी अवधि तक बंद होने के कारण ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा को आगे बढाया गया है. बहरहाल, एनसीईआरटी के सर्वेक्षण के आधार पर शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के लिए शिक्षा संवर्धन दिशा-निर्देश जारी किए जिनमें समुदाय के सदस्यों और पंचायती राज के सदस्यों की सहायता से सामुदायिक केंद्रों में हेल्पलाइन सेवा स्थापित करने जैसे उपाय हैं.