प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि नवोन्मेष, समग्रता और समावेश प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मंत्र के रूप में उभरे हैं, जो देश को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार साबित हो सकते हैं.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यहां स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) के स्थायी परिसर की आधारशिला रखने के बाद उन्होंने कहा कि प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोगपूर्ण, नवोन्मेषी और परिवर्तनकारी अवधारणाओं से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
प्रौद्योगिकी की वजह से क्षेत्रों के बीच कम होती दूरियों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने विश्व भर में हो रहे बदलावों के मद्देनजर डिजिटल संपर्क के क्षेत्र में तेजी से सुधार किए हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी का प्रबंधन मानव प्रबंधन की तरह ही महत्वपूर्ण है.’’उन्होंने यहां के छात्रों से ‘‘लोकल को ग्लोबल’’ बनाने के लिए नए और नवोन्मेषी समाधान सुझाने का आग्रह किया.
मोदी ने कहा कि बीते दशकों में देश ने एक प्रचलन देखा है कि बाहर में बनी मल्टी नेशनल कंपनियां बड़ी संख्या में आईं और इसी धरती में आगे भी बढ़ीं.
उन्होंने कहा, ‘‘ये दशक और ये सदी भारत में नए-नए मल्टीनेशनल्स के निर्माण का है. भारत में आज के स्टार्ट-अप्स कल के मल्टी नेशनल होंगे.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2014 तक देश में जहां 13 आईआईएम थे, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 20 हो गई है. उन्होंने कहा, ‘‘इतना बड़ा टैलेंट पूल आत्मनिर्भर भारत अभियान को बहुत विस्तार दे सकता है.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि संबलपुर के परिसर के शिलान्यास के साथ ही ओडिशा के युवा सामर्थ्य को मजबूती देने वाली एक नवीन शिला भी रखी गई है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि यह ओडिशा को प्रबंधन की दुनिया में नई पहचान दिलाएगा और कहा कि देश के नए क्षेत्रों में नए अनुभव लेकर निकल रहे प्रबंध मामलों के विशेषज्ञ भारत को नई ऊंचाई पर ले जाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘संबलपुर का आईआईएम और इस क्षेत्र में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए खास बात यह होगी की यह पूरी जगह ही एक प्राकृतिक लैब (प्रयोगशाला) की तरह है.’’
इस समारोह में ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री प्रतापचंद्र सारंगी भी शामिल हुए.
इसमें उद्योग जगत के अग्रणी नेताओं, शिक्षाविदों, छात्रों, पूर्व छात्रों और आईआईएम संबलपुर के शिक्षकों सहित 5000 से अधिक लोग भी डिजिटल माध्यम से जुड़े.
आईआईएम संबलपुर फ्लिप्ड क्लासरूम के आइडिया को लागू करने वाला पहला आईआईएम है, जहां मूलभूत अवधारणाओं को डिजिटिल तरीके से सिखाया जाता है और उद्योग से लाइव प्रोजेक्ट्स के माध्यम से कक्षा में प्रायोगिक शिक्षा दी जाती है.