रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के अनुसार, ऐसे खाते जिनमें दो साल से कोई लेनदेन नहीं है, उन्हें इनएक्टिव जरूर कर दिया जाता है लेकिन यदि उसमें ग्राहक का पैसा है तो वो उसे निकाल सकते हैं.
फरवरी 2021 में वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी कर यह बताया था कि भारत में ऐसे ही इनएक्टिव बैंक खातों में एक दो लाख नहीं बल्कि 35 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा ऐसा पैसा जमा है, जिसे कोई निकालने आता ही नहीं. इन्हें अनक्लेम्ड डिपॉटिज कहा जाता है. इतना सारा पैसा बैंकों में फिक्स डिपॉजिट ही नहीं बल्कि सेविंग व करंट अकाउट्स में दस साल से ज्यादा के वक्त के बाद भी पड़ा है.
बैकिंग विशेषज्ञ जितेश श्रीवास बताते हैं कि कई लोग एक से ज्यादा बैंक में खाता खुलवाते हैं. जहां उनके 500 से 1000 रुपये तक जमा रहते हैं, लेकिन वो उन्हें यह सोचकर नहीं निकालते हैं कि शायद बैंक ने कई चार्जेज लगाकर पैसा काट लिया होगा. हालांकि, ऐसा सिर्फ उन खातों में होता है, जहां न्यूनतम राशि बैंक में रखना अनिवार्य होती है. अगर मिनिमम बैलेंस रखना अनिवार्य नहीं है तो आप जब चाहें अपना पैसा निकाल सकते हैं. यही नहीं आपको बैंक ब्याज सहित पैसा वापस करेगा. इसके लिए आप बैंक जाकर केवाईसी (KYC) दिखाकर अपना पैसा वापस ले सकते हैं.
बैंकों में दस साल तक यूं पड़ा हुआ जमा आरबीआई को दे दिया जाता है. आरबीआई इसे अपनी स्कीम डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में जमा करती है, जिसका मुख्य काम जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने और ऐसे अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करना होता है. दूसरी तरफ इंश्योरेंस पॉलिसी के पास पड़ा अनक्लेम्ड अमाउंट मैच्योरिटी के 10 साल बाद भी क्लेम नहीं करने पर केंद्र सरकार की सीनियर सिटिजन वेलफेयर फंड (SCWF) में जमा कर दिया जाता है, जहां से बुजुर्गों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए इस राशि को खर्च किया जाता है.