कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों का रिकॉर्ड नहीं होने के केंद्र के बयान के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लगातार किसानों का अपमान कर रही है और कहा कि कानूनों को निरस्त करना चाहिए. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद को बताया कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ साल 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान मृत किसानों के बारे में सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि न तो उसने ‘काले’ कृषि कानूनों पर किसानों की मंशा जानने की कोई कोशिश की और न ही उसके पास शहीद किसानों का कोई आंकड़ा है. अपने खरबपति मित्रों का चश्मा लगाकर आंखों का पानी मार चुकी यह सरकार बस किसानों का अपमान किए जा रही है.’’ प्रियंका ने ‘‘काले कृषि कानून वापस लो’’ हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए यह टिप्पणी की.
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलनकारी किसानों में से 200 किसानों का एक समूह विशेष अनुमति मिलने के बाद अब मध्य दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहा है.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को साल 2020 के बाद से कृषि कानून के विरोध के दौरान मारे गए किसानों की कुल संख्या के बारे में पता है. इस पर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था, ‘‘भारत सरकार के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है.’’ राज्यसभा में अपने लिखित उत्तर के दौरान उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने किसान संघों के साथ चर्चा के दौरान उनसे अपील की थी कि उस समय की ठंड और कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए बच्चों और बुजुर्गों, विशेषकर महिलाओं को घर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
इसके अलावा, एक अलग जवाब में, तोमर ने कहा था, ‘‘इन कृषि कानूनों के कारण किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं के कारणों का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं कराया गया है.’’ उन्होंने कहा था कि केंद्र ने किसानों की आशंकाओं को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं.