बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने जाति आधारित जनगणना की मांग को दोहराते हुए प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार से कहा कि अगर केंद्र अपना रुख स्पष्ट नहीं करता तो राज्य सरकार अपने स्तर पर यह जनगणना करवाए.
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन अपने लाए कार्य स्थगन प्रस्ताव को सदन अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा द्वारा समय की कमी का हवाला देते हुए खारिज किए जाने के बाद विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए राजद नेता तेजस्वी ने कहा कि बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों ने पहले भी कई बार जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया है, जिसके मद्देनजर केंद्र पर इसको लेकर दबाव बनाया जाना चाहिए.
केंद्र ने हाल ही में संसद को सूचित किया था कि वह केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए जाति आधारित जनगणना पर विचार कर रहा है जिसको लेकर माना जा रहा है कि संख्यात्मक रूप से शक्तिशाली अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और पारंपरिक रूप से प्रभावशाली उच्च जातियों को इस जनगणना के दायरे में नहीं लाया जाएगा.
तेजस्वी ने कहा, ‘ हम लोगों का पहला सुझाव है कि विधानसभा का एक शिष्टमंडल जिसमें मेरे साथ ही और सभी दलों के सदस्य शामिल रहेंगे. शिष्टमंडल मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से समय लेकर उनसे मिलें तथा उनके समक्ष अपनी इस मांग को रखें.’
उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री इसमें असमर्थता व्यक्त करते हैं, तो ‘ हमलोगों का दूसरा सुझाव यह होगा कि राज्य सरकार सभी जातियों की जनगणना करे जैसे कर्नाटक ने कुछ समय पहले किया था.’
तेजस्वी ने कहा, ‘विपक्षी दलों के नेताओं की फिर से बैठक होने वाली है और हम लोग बैठक में यह निर्णय लेने जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी मांग को रखेंगे.’
गौरतलब है कि सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण जिसे जाति आधारित जनगणना के समकक्ष के रूप में देखा जाता है, उसे 2015 में दक्षिणी राज्य में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा कराया गया था.
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा कथित तौर पर संसद के अंदर ‘‘बिहारी गुंडा’’ शब्द का इस्तेमाल किये जाने के बारे में पूछे जाने पर तेजस्वी ने कहा, ‘‘अगर कोई इस तरह की टिप्पणी करता है तो मैं केवल खेद व्यक्त कर सकता हूं. राज्य का एक गौरवशाली अतीत रहा है और राष्ट्र निर्माण में इसका योगदान अद्वितीय है.’’