सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेन्द्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा में कई सदस्यों द्वारा 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को समाप्त करने की मांग पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है क्योंकि इससे संवैधानिक मुद्दे जुड़े हुए हैं.
निचले सदन में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कई सदस्यों ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाने की मांग की है जिसे कई दशक पहले तय किया गया था.
उन्होंने कहा कि सरकार सदस्यों की भावना से अवगत है और सभी संवैधानिक एवं कानूनी आयामों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इंदिरा साहनी मामले में अदालत ने यह व्यवस्था दी कि 50 प्रतिशत की सीमा को केवल विशेष परिस्थितियों में ही बढ़ाया जा सकता है.
मंत्री ने कहा कि सदन में इस संविधान संशोधन के पक्ष में सभी दलों के सांसदों से मिला समर्थन स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि सभी ने ऐसा ही विचार व्यक्त किया है कि यह विधेयक ओबीसी के हितों को पूरा करने वाला है और इससे प्रत्येक राज्य अपने यहां ओबीसी जातियों के संदर्भ में निर्णय ले सकेंगे.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा की नीति और नीयत दोनों साफ है. इसी कारण यह विधेयक लेकर आए हैं. मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 102वें संशोधन के समय किसी संशोधन का प्रस्ताव नहीं दिया गया था और ऐसे में कांग्रेस को कोई सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है.
उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को सशक्त बनाया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान विधेयक से राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों को मजबूती मिलेगी और संघीय ढांचा भी मजबूत होगा. वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि इस विधेयक के साथ महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में ओबीसी समुदाय को फायदा मिलेगा.
चर्चा के दौरान कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी और शिवसेना सहित कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने पर विचार करने की सरकार से मांग की. कई विपक्षी सदस्यों ने जाति आधारित जनगणना कराने की भी मांग की.