नई दिल्ली
भारत के लड़ाकू क्षमता वाले स्वदेशी ड्रोन विमान रुस्तम-।। ने अपना पहला परीक्षण सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है ।डीआरडीओ के मानवरहित विमान से जुड़े भारत के विकास कार्यक्रम को नई ऊंचाई मिली है। यह 24 घंटे तक उड़ान भर सकता है और देश के सशस्त्र बलों के लिए टोही मिशन को भी अंजाम दे सकता है। इस मानवरहित विमान को अमेरिका के प्रिडेटर ड्रोन की तरह मानवरहित लड़ाकू यान के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है।
रुस्तम-।। का परीक्षण बेंगलुरु से करीब 250 किलोमीटर दूर चित्रदुर्ग के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में किया गया। यह जगह मानवरहित एवं मानवयुक्त विमानों के परीक्षण के लिए नवविकसित उड़ान परीक्षण स्थल है। तापस 201 यानी रुस्तम-।। का डिजाइन और विकास डीआरडीओ की बेंगलुरु की प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डिवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट और एचएएल-बीईएल ने मिलकर किया है। इसका वजन दो टन है और डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों की एक अलग टीम ने इसका परीक्षण किया। इसमें सशस्त्र बलों के पायलटों ने सहयोग किया।
वहीँ भारतीय नौ सेना को चार मॉडर्न समुद्री टोही विमान ‘पी-8 आई’ मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है और इन विमानों की आपूर्ति की शुरुआत जुलाई 2020 से होगी। बोइंग के पी 8 आई कार्यक्रम से जुड़े मार्क जॉर्डन ने कहा, ‘हम इसकी आपूर्ति जुलाई 2020 तक करने की उम्मीद करते हैं। हमारे पास सुधारों की एक लंबी सूची है जिसमें भारतीय नौसेना की दिलचस्पी है और हम उस पर काम कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि पहले विमान की आपूर्ति जुलाई 2020 तक होगी, बाकी तीन की आपूर्ति 2021 के अंत तक की जाएगी।
बोइंग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि भारत लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमानों में से आठ का इस्तेमाल करता है। इस साल जुलाई में नौसेना ने चार अतिरिक्त विमानों के लिए ऑर्डर दिया। भारत ने इसके साथ ही उन सुधारों और नई विशेषताओं की एक सूची भी साझा की जिनकी उसे जरूरत है। हालांकि, उन सुधारों के बारे में खुलासा नहीं किया जा सकता। भारतीय बेड़े में बढ़ोतरी ऐसे समय हुई है जब चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की नेवी हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है।