नईदिल्ली : चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगना गलत है। कोर्ट ने भाषा और समुदाय के नाम पर भी वोट मांगने को गैर-कानूनी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने 3 के मुकाबले 4 वोटों के बहुमत से फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफ किया है कि अगर कोई भी उम्मीदवार चुनाव में धर्म, जाति, भाषा या फिर समुदाय के नाम वोट मांगता है तो ये गैरकानूनी है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है। इस आधार पर वोट मांगना संविधान की भावना के खिलाफ है। जन प्रतिनिधियों को अपना कामकाज धर्मनिरपेक्षता के आधार पर ही करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व केस में फैसले को लेकर कहा कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष कार्य है ऐसे में इस से जुड़ी प्रक्रियाओं में भी धर्मनिरपेक्षता को लागू किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति और ईश्वर के बीच का रिश्ता एक वैयक्तिक है। राज्यों को इस तरह के किसी भी गतिविधि में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर आने वाले पांच राज्यों में नजर आ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर के साथ-साथ जज एमबी लोकुर, एसए बोगडे, एके गोयल, उदय ललित, डीवाई चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव शामिल थे। कोर्ट ने ये फैसला २६ अक्टूबर २०१६ को रिजर्व रखा था। आज फैसला सुनाते हुए धारा 123 (3) की व्याख्या की गई है।