ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board -AIMPLB) समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के खिलाफ विभिन्न तबकों के साथ मिलकर आम राय तैयार करेगा.
बोर्ड कार्यकारिणी की पिछले दिनों हुई डिजिटल बैठकों में यह फैसला लिया गया. बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य जफरयाब जीलानी ने बताया कि 11 और 13 अक्टूबर को हुई बोर्ड की डिजिटल बैठकों में समान नागरिक संहिता और बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से जुड़े अहम फैसले लिए गए.
उन्होंने बताया कि बोर्ड सदस्यों का यह कहना था कि सत्तारूढ़ भाजपा के एजेंडा में अब समान नागरिक संहिता का मुद्दा ही बचा रह गया है लिहाजा अब वह इस दिशा में आगे बढ़ेगी. सदस्यों का कहना था कि भारत विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों वाला देश है लिहाजा यहां ऐसी कोई संहिता लागू करना न्यायसंगत नहीं होगा.
जीलानी ने बताया कि बैठक में फैसला लिया गया है कि बोर्ड समान नागरिक संहिता लागू किए जाने की स्थिति में प्रभावित होने वाले विभिन्न तबकों से संपर्क करके और उनके जनप्रतिनिधियों जैसे सांसदों विधायकों से संपर्क कर एक आम राय तैयार करेगा.
उन्होंने बताया कि बोर्ड ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले में गत 30 सितंबर को सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दिए गए फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने के फैसले पर भी मुहर लगा दी है.
जीलानी ने बताया कि कानूनी प्रक्रिया के तहत किसी फैसले को चुनौती देने के लिए 90 दिनों का समय होता है. इसी अवधि में बोर्ड के नुमाइंदे विशेष सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.
गौरतलब है कि विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी विध्वंस (Babri Masjid Demolition) मामले में फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था. इस मामले के आरोपियों में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी (L K Advani) , पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी (M M Joshi), उमा भारती (Uma Bharti) और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी शामिल थे.