नई दिल्ली : इसके पहले लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को अमल में लाने के लिए एक पैनल भी बनाया गया था। जिसके मुताबिक बीसीसीआई के वे सभी अधिकारी जिन्होंने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों का पालन नहीं किया उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को झूठी गवाही देने के लिए फटकार लगाई थी। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि अनुराग ठाकुर पर अवमानना का केस चलाया जा सकता है, अगर बिना शर्त माफी नहीं मांगी तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। इसके साथ ही अनुराग पर सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने के भी आरोप लग रहे थे।
अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के वित्तीय अधिकार सीमित करते हुए लोढ़ा समिति से एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करने को कहा था। बीसीसीआई के वित्तीय अधिकार सीमित करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने बोलियों और ठेकों के लिए वित्तीय सीमा का निर्धारण किया था।
दरअसल इस पुरे मामले के पीछे की वजह बोर्ड का अड़ियल रवैया रहा है। बोर्ड के मुताबिक लोढ़ा कमेटी की ज़्यादा सिफारिशें मान ली गई हैं, लेकिन कुछ बातें व्यवहारिक नहीं है। जिसको लेकर गतिरोध बना रहा. मसलन अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल का मुद्दा, अधिकारियों के कूलिंग ऑफ़ पीरियड का मुद्दा और एक राज्य, एक वोट की सिफ़ारिश बोर्ड को मंज़ूर नहीं है।
वहीँ जस्टिस लोढ़ा ने कहा है कि हर किसी को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए, कि अगर एक बार सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया है,तो सभी को उस आदेश का पालन करना चाहिए। वहीँ कोर्ट के फैसले के बाद भारत में क्रिकेट की दशा और दिशा में बड़ा बदलाव आने की बात कही जा रही है।