हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी के कोविड-19 वैक्सीन को भारत के औषधि नियामक के जरिए आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी जा चुकी है. हालांकि इसकी काफी आलोचना की जा रही है और इन आलोचनाओं को भारत बायोटेक ने खारिज कर दिया और कहा कि इसका सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन उत्पादन का रिकॉर्ड रहा है और इसके सभी डाटा पारदर्शी हैं. दरअसल, कोवैक्सीन को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग के कारण विवाद बढ़ गया और विपक्षी दल के कुछ नेताओं ने भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी देने पर सवाल भी उठाए हैं.
कोवैक्सीन की मंजूरी पर उद्योग के विशेषज्ञों और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सवाल उठाए हैं और तीसरे चरण के परीक्षण डाटा मौजूद नहीं होने पर चिंता जताई है, जिस पर भारत बायोटेक के अध्यक्ष (CMD) कृष्णा इल्ला ने कहा है कि 200 प्रतिशत ईमानदारी के साथ क्लीनिकल ट्रायल किए गए फिर भी आलोचना’ की जा रही है. उन्होंने कहा कि पर्याप्त डाटा का पहले ही खुलासा कर दिया गया है और लोगों के लिए यह ऑनलाइन मौजूद है. उन्होंने सुझाव दिए कि टीके को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है कि यह एक भारतीय कंपनी का उत्पाद है.
उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन मेडिकल जरूरतों को पूरा करता है और इसने शानदार सुरक्षा डाटा सृजित किया है और इसकी रोग प्रतिरोधी क्षमता ठोस है. इल्ला ने कहा कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण की प्रभाविता संबंधी डाटा मार्च तक उपलब्ध होगा. उन्होंने कहा, ‘हम 200 फीसदी ईमानदारी से क्लीनिकल परीक्षण करते हैं और फिर भी हमारी आलोचना हो रही है. भारत बायोटेक का टीका फाइजर के टीके से कमतर नहीं है.’
इल्ला ने कहा कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण तक की प्रभावकारिता के आंकड़ें मार्च के अंत तक उपलब्ध हो जाएंगे. अभी तीसरे चरण की प्रभावकारिता के बारे में कोई विश्लेषण नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्हें घटिया बताया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि भारत बायोटेक का डाटा पारदर्शी नहीं है और उन्होंने कंपनी के प्रकाशनों की संख्या गिनाई.
उन्होंने कहा कि आपातकालीन उपयोग की मंजूरी भारत सरकार के 2019 के नियमों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक ने सबसे पहले जीका वायरस का पता लगाया और जीका और चिकनगुनिया के टीकों के लिए वैश्विक पेटेंट दायर करने वाली यह पहली कंपनी है.
विवादों के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी बैकअप के तौर पर केवल आपातकालीन स्थिति के लिए दी गई है और इन दावों को खारिज कर दिया कि वैक्सीन की पूरी प्रक्रिया को फास्ट ट्रैक किया गया.
उन्होंने कहा, ‘अगर मामलों में बढ़ोतरी हो रही है तो हमें टीके के बड़े डोज की जरूरत होगी और तब हम भारत बायोटेक के टीके का इस्तेमाल कर सकते हैं. भारत बायोटेक का टीका बैकअप के लिए है.’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा और प्रभाव के संदर्भ में किसी भी क्लीनिकल परीक्षण को फास्ट ट्रैक नहीं किया गया. नियामक की मंजूरी लेने में फास्ट ट्रैक किया गया है जिसमें एक चरण से दूसरे चरण तक जाने में सामान्य तौर पर ज्यादा समय लगता है.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के जरिए निर्मित ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन कोविशील्ड और स्वदेश में विकसित कोवैक्सीन को रविवार को मंजूरी दिए जाने को भारत सरकार ने वैज्ञानिकों और देश के लिए बड़ी उपलब्धि बताई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान देश में शुरू होने वाला है. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि इसके लिए देश अपने वैज्ञानिकों और टेक्नीशियन के योगदान पर गर्व करता है.’
वहीं ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका के जरिए विकसित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के टीके को सोमवार को लगाया जाना शुरू कर दिया गया. इस टीके को 82 वर्षीय एक बुजुर्ग को लगाया गया जो डायलिसिस का मरीज है. भारतीय दवा निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि भारत सरकार को प्रति टीका तीन से चार डॉलर (219 से 292 रुपये) का खर्च आएगा और बिक्री शुरू होने पर बाजार में इसकी कीमत दोगुनी होगी. दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी एसआईआई को टीका उत्पादन का लाइसेंस है और इसने करीब पांच करोड़ डोज तैयार कर लिए हैं.
सीईओ ने कहा कि कंपनी कोविशील्ड की बिक्री पहले चरण में भारत सरकार और जीएवीआई (टीका एवं प्रतिरक्षण के लिए वैश्विक गठबंधन) देशों को करेगी और इसके बाद इसे बाजार में उतारा जाएगा. केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय कर टीकाकरण अभियान की तैयारी कर रही है और दो जनवरी को देशभर में इसका पूर्वाभ्यास किया गया.
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने सोमवार को कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों समेत कोरोना महामारी से अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहे लोगों का पहले चरण में टीकाकरण करने के लिये देश में टीके का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है. पॉल कोविड-19 के टीकाकरण को लेकर बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार शीघ्र ही टीके की खरीद और उसके वितरण की अपनी योजना का खुलासा करेगी.