बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि आज कोई भी एक दल अपने बलबूते पर चुनाव जीतकर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है.’ उन्होंने कहा कि बिहार में गठबंधन की राजनीति एक ‘वास्तविकता’ है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) इसके त्रिकोण हैं तथा इनमें से किसी को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि वह अपने बूते चुनाव जीतकर सरकार बना सकता है.
बिहार भाजपा के कद्दावर नेता मोदी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सामने राजद के नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन दूर-दूर तक नहीं टिकता और अगला विधानसभा चुनाव राजग के सभी घटक दल मिलकर लड़ेंगे और सफलता हासिल करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा जदयू और राजद बिहार की राजनीति के त्रिकोण हैं और गठबंधन एक वास्तविकता है. इसे लेकर किसी को कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. आज कोई भी एक दल अपने बलबूते पर चुनाव जीतकर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है.’
उन्होंने कहा कि 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अलग चुनाव लड़कर देख चुकी है, जबकि 2014 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू लोकसभा का अलग चुनाव लड़कर देख चुका है.मोदी ने कहा, ‘भाजपा को अपनी ताकत के बारे में कोई गलतफहमी नहीं है. हम मजबूत हैं और हमारा संगठन भी है. लेकिन मिलजुलकर चुनाव लड़ेंगे तभी हम लोगों को सफलता मिलेगी. इसे लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में भी कहीं कोई भ्रम नहीं है.’
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बीच के दो-ढाई साल छोड़ दें तो बिहार के अंदर ये गठबंधन बहुत ही मजबूती के साथ 1996 से चल रहा है. एक बेहतर तालमेल के साथ इस गठबंधन ने बिहार में एक अच्छी सरकार दी है.ग़ौरतलब है कि इसी महीने बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा होने की संभावना है. बिहार चुनाव, कोरोना वायरस महामारी के दौरान होने वाले भारत के पहले विधानसभा चुनाव होंगे. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है.
राजग के घटक दलों जदयू और लोजपा के बीच चल रहे वाकयुद्ध और कुछ मुद्दों पर एक दूसरे की असहमतियों को उन्होंने क्षणिक करार दिया और उम्मीद जताई कि समय आने पर इसका भी समाधान हो जाएगा.उन्होंने कहा, ‘सभी दलों का नेतृत्व बहुत परिपक्व और समझदार है. इसलिए सब ठीक हो जाएगा. लोजपा जदयू और भाजपा के गठबंधन में कोई दरार नहीं आएगी. मिलजुलकर चुनाव लड़ेंगे.’
कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार के प्रबंधन और प्रवासी मजदूरों को लेकर राज्य सरकार के रवैये पर उठे सवालों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘कोई नाराजगी नहीं है. प्रारंभ में किसको मालूम था कि कितने मजदूर आएंगे. लॉकडाउन लगेगा ये किसी को मालूम था क्या? शुरूआती दिनों में जरूर कुछ अव्यवस्थाएं रहीं, लेकिन 10 दिनों में सब कुछ नियंत्रित कर लिया गया.’
गठबंधन में भाजपा कब नेतृत्व की भूमिका में आएगी, इस बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने प्रतिप्रश्न करते हुए कहा कि भाजपा ने बिहार की राजनीति में आज जो जगह बनाई है, वह कम थोड़े ही है. साथ ही उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री कौन बनेगा यह पार्टी ने तय कर दिया है. पहले से ही नीतीश जी मुख्यमंत्री हैं. बार-बार कोई मुख्यमंत्री थोड़े ही बदला जाता है. नीतीश जी को लेकर कोई किन्तु-परन्तु नहीं है. हम उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे. भाजपा न सिर्फ अपने उम्मीदवारों को बल्कि सहयोगी दलों के उम्मीदवारों को भी जिताने में जी जान से काम करेगी.’
राजद, कांग्रेस और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) सहित कुछ अन्य दलों के विपक्षी ‘महागठबंधन’ को मोदी ने आगामी विधानसभा चुनाव में ‘‘कोई बड़ी चुनौती’’ मानने से इनकार किया.
उन्होंने कहा, ‘विपक्ष का गठबंधन हमारे गठबंधन के सामने कहीं भी दूर-दूर तक नहीं टिकता है.’उन्होंने कहा, ‘उनकी न विश्वसनीयता है, न कोई नेतृत्व है न ही नेतृत्व की कोई विश्वसनीयता है. न पारदर्शिता है. पूरा नेतृत्व भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है.’
तेजस्वी पर तंज कसते हुए मोदी ने कहा, ‘ट्वीटर और फेसबुक पर बयान देने से केवल कोई नेता नहीं हो जाता. महागठबंधन से हमारा मुकाबला कोई पहली बार नहीं हो रहा है. इस महागठबंधन से हमलोगों ने पिछले पांच चुनाव लड़े हैं और हर बार इनको पराजित करने का काम किया है.’
उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव परिणामों को देखा जाए तो दोनों गठबंधनों के मतों में कम से कम 12 से 13 प्रतिशत का अंतर है. पिछले लोकसभा चुनाव में तो यह अंतर 23 प्रतिशत तक पहुंच गया. जब 2010 में भाजपा और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था तो उस समय भी 14 प्रतिशत मतों का अंतर था.उन्होंने कहा, ‘कई राज्यों में तो एक प्रतिशत से हार जीत का फैसला होता है. हमारा तो इतना बड़ा अंतर है.’
मोदी 2005 से लेकर जून 2013 तक बिहार सरकार में उप मुख्यमंत्री-सह वित्त मंत्री रहे. साल 2017 में जब जदयू-राजद गठबंधन की सरकार गिरी तब मोदी फिर से बिहार के उपमुख्यमंत्री बने.लंबे समय से नीतीश के सहयोगी के रूप में काम कर रहे मोदी ने इस बात से इंकार किया कि बिहार की जनता में मुख्यमंत्री को लेकर कोई ऊब जैसी स्थिति है.
मोदी ने बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए 15 सालों के राजग शासन को नाकाफी बताया और कहा कि 2005 में जब जदयू-भाजपा गठबंधन सत्ता में आया उस वक्त यदि बिजली, सड़क और पानी जैसी आधारभूत संरचनाएं मिल जाती तो ‘आज हम बिहार को कहां से कहां पहुंचा देते’.उन्होंने आरोप लगाया कि 40 साल बिहार में कांग्रेस ने राज किया, 15 साल कांग्रेस और राजद ने मिलकर राज किया लेकिन कोई काम नहीं किया. बिहार के 55 साल इन लोगों ने ‘बर्बाद’ कर दिए.
मोदी ने दावा कि पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में जो वादे किए थे उसका लगभग 80 फीसद पूरा कर दिया है.उन्होंने कहा, ‘चाहे बिजली, पानी और सड़क का मुद्दा हो या कृषि का क्षेत्र, हम लोगों ने अभूतपूर्व काम किया है. केवल घोषणा नहीं. 80 फीसद काम हमने पूरा कर लिया बाकी भी काम चल रहा है.’उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि यदि उसमें हिम्मत है तो वह बिजली, पानी व सड़क को चुनावी मुद्दा बनाए.उन्होंने कहा कि देश के हर राज्य के चुनाव में बिजली, पानी व सड़क एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहता है. आज बिहार के अंदर एक भी घर नहीं बचा है, जहां बिजली नहीं पहुंची है. पूरे बिहार में सड़कों का जाल बिछा दिया गया है. यहां तक कि देश का पहला राज्य होगा बिहार जहां सौ से अधिक की आबादी वाले हर टोले को बारहमासी सड़क से जोड़ा जा रहा है.
गौरतलब है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जदयू राजग से बाहर हो गया. इसके बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में उसने राजद के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भाजपा 53 सीटें ही जीत सकी थी. तब राजद 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जदयू को 71 सीटें मिली थीं.
नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने और लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री. हालांकि यह सरकार लंबे समय तक नहीं चल सकी. जदयू फिर राजग के साथ आ गया. नीतीश मुख्यमंत्री बने और मोदी उपमुख्यमंत्री. लिहाजा भाजपा और जदयू जहां पिछले चुनाव में आमने- सामने थे, इस बार मिलकर वे महागठबंधन को चुनौती देंगे.