ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के चलते यहां शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में भर्ती होने वाले करीब 15 प्रतिशत मरीजों के मस्तिष्क में इस बीमारी का संक्रमण मिला है।
एमवायएच के न्यूरोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, ‘हमारे अस्पताल में ब्लैक फंगस के अब तक कुल 368 मरीज भर्ती हो चुके हैं। शुरुआती अध्ययन के अनुसार इनमें से करीब 55 मरीजों के मस्तिष्क में इस बीमारी का संक्रमण मिला है। सीटी स्कैन और एमआरआई की जांचों में इसकी पुष्टि हुई है।’
गुप्ता ने बताया कि इनमें से ज्यादातर मरीजों के मस्तिष्क में छोटे आकार का ब्लैक फंगस संक्रमण मिला, जबकि चार अन्य गंभीर मरीजों के मस्तिष्क की बड़ी सर्जरी की गई ताकि घातक संक्रमण की रोकथाम कर उनकी जान बचाई जा सके।
उन्होंने दावा किया कि सर्जरी से गुजरने वाले मरीज ‘देरी से’ एमवायएच पहुंचे थे और उनके अस्पताल में भर्ती होने से पहले ही ब्लैक फंगस का संक्रमण उनके साइनस से होता हुआ मस्तिष्क तक पहुंच गया था।
बहरहाल, एक अन्य अधिकारी ने स्वीकारा कि ब्लैक फंगस के इलाज में प्रमुख तौर पर इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की शहर में किल्लत बरकरार रहने से इसके मरीजों के इलाज पर बुरा असर पड़ रहा है।
जानकारों ने बताया कि ब्लैक फंगस संक्रमण के मस्तिष्क तक पहुंचने के शुरुआती लक्षणों में सिरदर्द और उल्टी होना शामिल है। बाद में मस्तिष्क में इसका संक्रमण बढ़ने पर मरीज बेहोश होने लगता है।
उन्होंने बताया कि इन दिनों ब्लैक फंगस का संक्रमण कोविड-19 से उबर रहे और स्वस्थ हो चुके लोगों में से कुछेक में मिल रहा है। हालांकि, ब्लैक फंगस के चुनिंदा मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें कोविड-19 होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।