बॉम्बे हाईकोर्ट ने गणेश विसर्जन पर डीजे और डॉल्बी साउंड सिस्टम बजाए जाने पर लगी पाबंदी बरक़रार रखी है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रोफेशनल ऑडियो एंड लाइटिंग एसोसिएशन (पीएएलए) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमे कहा गया था कि ऐसे ऑडियो सिस्टम्स का एक तय ध्वनि सीमा का उल्लंघन किए बिना भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा पेश की गई दलीलों पर भी विचार किया, जिसमें महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकणी ने कहा था कि डीजे और डॉल्बी ऑडियो सिस्टम्स ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं।
दरअसल महाधिवक्ता कुम्भकणी ने कोर्ट को बताते हुए कहा था कि डीजे या डॉल्बी सिस्टम बजने पर ध्वनि का स्तर 100 डेसीबल को पार कर जाता है, जो कि ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के तहत तय सीमा से कहीं ज्यादा है।
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में ध्वनि प्रदूषण कानून का हवाला देते हुए गणेश विसर्जन के मौके पर डीजे और डॉल्बी साउंड सिस्टम के इस्तेमाल पर पाबन्दी लगाई थी। जिसके खिलाफ प्रोफेशनल ऑडियो एंड लाइटिंग एसोसिएशन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रतिबंध हटाने या फिर अंतरिम राहत देने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने इस मामले पर किसी भी तरह की राहत देने से इंकार करते हुए पाबंदी बरक़रार रखी है।
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रोफेशनल ऑडियो एंड लाइटिंग एसोसिएशन ने जहाँ सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती देने की बात कही है।वहीँ डीजे साउंड सिस्टम ऑपरेटर्स का कहना है कि इस कारोबार से जुड़े लोगों की कमाई त्योहारों के दौरान होती है, ऐसे में अगर इस पर पाबंदी लगाती है तो इससे जुड़े लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।