मुंबई हाई कोर्ट ने कोविड-19 के मद्देनजर कुछ शर्तों के साथ शिया मुस्लिम समुदाय को मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति दे दी है.
न्यायमूर्ति के के तातेड़ और न्यायमूर्ति पी के चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि 20 अगस्त को तीन घंटे के जुलूस के दौरान कोविड -19 प्रोटोकॉल के अनुपालन के अलावा केवल सात ट्रकों के साथ जुलूस निकालने की अनुमति होगी. प्रत्येक ट्रक में 15 से अधिक लोग नहीं होने चाहिये.
हाई कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों ने कोविड-19 वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली हैं और अंतिम खुराक लिये 14 दिन हो गए हैं, केवल उन्हें ही ट्रक में सवार होने की अनुमति होगी.
कोर्ट ने कहा , “पांच ताजिया निकालने की अनुमति दी जाएगी. 105 व्यक्तियों में से केवल 25 को ही कर्बला के अंदर जाने की अनुमति होगी.” याचिकाकर्ता ने 18 से 20 अगस्त तक प्रतिदिन दो घंटे के लिए 1,000 लोगों को जुलूस में शामिल होने की अनुमति मांगी थी.
मुंबई हाई कोर्ट ने ऑल इंडिया इदारा तहफ्फुज-ए-हुसैनियत की याचिका पर यह आदेश पारित किया. याचिका में मुहर्रम के दौरान जुलूस निकालने और धार्मिक क्रिया करने के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया गया था.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजेंद्र शिरोडकर ने अदालत को सूचित किया कि ताजिया (इमाम हुसैन के मकबरे की प्रतिकृति) निकालना और भोजन व पानी के लिए सबील, स्टॉल लगाना शिया धर्म की रस्म हिस्सा है. इसके बिना अनुष्ठान पूरा नहीं होगा. हालांकि, सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने याचिका का विरोध किया और दलील दी कि भीड़ को नियंत्रित करना, विशेष रूप से एक धार्मिक जुलूस में, मुश्किल हो जाता है.