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Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज पेश करेंगी बजट, जानिए क्या होगा खास?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 6वीं बार बजट करने के साथ ही मनमोहन सिंह, अरुण जेटली, पी चिदंबरम और यशवंत सिन्हा जैसे पूर्व वित्त मंत्रियों के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ देंगी.

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले आज (1 फरवरी) पेश होने वाले अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मध्यम वर्ग, किसानों और श्रमिकों को काफी उम्मीदें हैं. पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का मानना था कि लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाला अंतरिम बजट, सत्ता में मौजूद पार्टी के लिए मुफ्त और लोकलुभावन योजनाओं के जरिये मतदाताओं को आकर्षित करने का एक मौका होता है. उन्होंने कहा, ‘‘2019 में आम चुनाव से पहले पेश अंतरिम बजट में भी हम ऐसा होते हुए देख चुके हैं.’’

पूर्व वित्त सचिव ने कहा, ‘‘सरकार ने 2019 में आम चुनाव से पहले पेश अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों-को लक्षित किया था. कुल मिलाकर ये लगभग 75 करोड़ मतदाता हैं. ऐसी संभावना है कि सरकार इस बार भी इन मतदाताओं का खास ध्यान रखेगी.’’ उल्लेखनीय है कि 2019 में वित्त मंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मध्यम वर्ग को आकर्षित करने के लिए पांच लाख रुपये तक की कर-योग्य आय को आयकर से छूट दी थी.

साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 12 करोड़ किसानों को 6,000 रुपये नकद भी उपलब्ध कराने की घोषणा की थी. इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र (पीएम श्रम योगी मानधन -एसवाईएम) से जुड़े 50 करोड़ श्रमिकों को सेवानिवृत्ति पेंशन में सरकारी योगदान का भी प्रस्ताव किया गया था. इसको देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस बार के अंतरिम बजट में भी इस तरह की घोषणाएं हो सकती हैं.

आमतौर पर, अंतरिम बजट में प्रमुख नीतिगत घोषणाएं नहीं होती हैं, लेकिन सरकार पर ऐसे कदम उठाने से कोई नहीं रोक नहीं है जो अर्थव्यवस्था के सामने आने वाले मुद्दों से निपटने के लिए जरूरी हैं. सीतारमण का यह लगातार छठा बजट है. इसके साथ ही उनके नाम कई रिकॉर्ड होंगे. वह लगातार पांच पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश करने के मोरारजी देसाई के नाम दर्ज रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी. साथ ही, सीतारमण पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं, जो जुलाई 2019 से पांच पूर्ण बजट पेश कर चुकी हैं और आज वह लेखानुदान यानी अंतरिम बजट पेश करेंगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करने के साथ, मनमोहन सिंह, अरुण जेटली, पी चिदंबरम और यशवंत सिन्हा जैसे पूर्व वित्त मंत्रियों के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ देंगी. इन नेताओं ने लगातार पांच बजट पेश किये थे. वित्त मंत्री के रूप में देसाई ने 1959-1964 के बीच पांच सालाना बजट और एक अंतरिम बजट पेश किया था. मोदी सरकार ने 2019 के आम चुनावों के बाद अपने दूसरे कार्यकाल में सीतारमण को वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी. वह इंदिरा गांधी के बाद बजट पेश करने वाली दूसरी महिला बनीं. इंदिरा गांधी ने वित्त वर्ष 1970-71 के लिए बजट पेश किया था.
राजकोषीय घाटे की स्थिति पर पड़ने वाले सवाल के बारे में पूछे जाने पर गर्ग ने कहा, ‘‘सरकार ने राजकोषीय घाटा 17.9 लाख करोड़ रुपये यानी 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है. यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 301.8 लाख करोड़ रुपये के अनुमान पर आधारित था. 2023-24 के पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी 296.6 लाख करोड़ रुपये रहने पर यह छह फीसदी यानी 17.8 लाख करोड़ रुपये बनता है. यह बजट में तय लक्ष्य के लगभग बराबर है.’’
राजस्व मोर्चे पर स्थिति के बारे में पूछे जाने पर गर्ग ने कहा, ‘‘आयकर संग्रह बजट अनुमान से कहीं बेहतर रहेगा. जीएसटी लक्ष्य के अनुसार है. सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क का प्रदर्शन जरूर खराब रहा है, लेकिन आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) और पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) से अधिक लाभांश आने के कारण गैर-कर राजस्व, बजट अनुमान से अधिक होगा. विनिवेश आय ने काफी निराश किया है. कुल मिलाकर, अतिरिक्त व्यय के लिए गैर-ऋण प्राप्तियां अच्छी स्थिति में रहने की संभावना है.’’
सूत्रों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में आय और कॉरपोरेट कर संग्रह में उछाल दिख रहा है. इससे कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान से लगभग एक लाख करोड़ रुपये अधिक रह सकता है. सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रत्यक्ष करों से 18.23 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बजट लक्ष्य रखा था. इस मद में 10 जनवरी, 2024 तक कर संग्रह 14.70 लाख करोड़ रुपये हो चुका था, जो बजट अनुमान का 81 फीसदी है. अभी वित्त वर्ष पूरा होने में दो महीने महीने से अधिक का समय बाकी है. वहीं जीएसटी के मोर्चे पर केंद्रीय जीएसटी राजस्व 8.1 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से लगभग 10,000 करोड़ रुपये अधिक होने की उम्मीद है. हालांकि, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क संग्रह में करीब 49,000 करोड़ रुपये की कमी की आशंका है.
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