दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस के फिर से सिर उठाने का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे इंफ्लूएंज़ा-जैसी बीमारी और श्वसन संबंधी गंभीर संक्रमण की फिर से निगरानी शुरू करें ताकि किसी भी तरह के शुरुआती संकेत नज़रअंदाज़ नहीं हो सकें और कोविड नियंत्रण में रहे.
इंफ्लूएंजा-जैसी बीमारी (आईएलआई) और श्वसन संबंधी गंभीर संक्रमण (एसएआरआई) के मामलों की जांच सरकार के लिए कोविड प्रबंधन के स्तंभ रहे हैं. बहरहाल, इसकी जांच हाल में रोक दी गई थी, क्योंकि भारत में कोविड-19 के मामले कम आ रहे हैं.
निगरानी बढ़ाने के तहत आईएलआई और एसएआरआई से पीड़ित अस्पताल में भर्ती मरीजों की कोविड जांच कराई जाएगी और संक्रमित नमूनों को जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजा जाएगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने एक पत्र में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि कोविड के स्वरूपों का समय पर पता लगाने के लिए पर्याप्त संख्या में नमूने आईएनएसएसीओजी नेटवर्क में जमा कराएं.
उन्होंने प्रोटोकॉल के अनुसार जांच जारी रखने, सभी सावधानियों का पालन करने और आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को फिर से शुरू करते समय सतर्कता नहीं छोड़ने पर भी जोर दिया.
भूषण ने पत्र में कहा कि अगर मामलों के नए कलस्टर उभर रहे हैं तो प्रभावी निगरानी की जाए और आईएलआई एवं एसएआरआई मामलों की नियमों के तहत जांच की जाए और उनपर नजर रखी जाए ताकि किसी भी तरह के शुरुआती संकेत नज़रअंदाज़ न हों और कोविड संक्रमण का प्रसार नियंत्रण में रहे.
उन्होंने कहा कि राज्य मशीनरी को आवश्यक जागरूकता पैदा करनी चाहिए और कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन सुनिश्चित कराना चाहिए.
भूषण ने पत्र में कहा दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप के कुछ देशों में कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी होने के मद्देनजर 16 मार्च को स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें राज्यों को नमूनों का जीनोम अनुक्रमण कराने और कोविड की स्थिति की गहन निगरानी पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी गई.