प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) भारतीय सशस्त्र बलों की ‘‘कड़ी एवं मजबूत’’ प्रतिक्रिया के कारण पूर्वी लद्दाख में अपने दुस्साहस के लिए ‘‘अप्रत्याशित परिणाम’’ भुगत रही है.
जरनल रावत ने एक डिजिटल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं और भारत का रुख ‘‘स्पष्ट’’ बना हुआ है.उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं और चीन की जनमुक्ति सेना लद्दाख में भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अपने दुस्साहस के लिए अप्रत्याशित परिणाम भुगत रही है.’’
जनरल रावत ने कहा, ‘‘हमारा रुख स्पष्ट है और हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे.’’उन्होंने समग्र सुरक्षा स्थिति की बात करते हुए कहा कि सीमा पर झड़पों, अतिक्रमण और बिना उकसावे की सामरिक सैन्य कार्रवाइयों के बड़े संघर्षों में बदलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
जनरल रावत ने पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के मामले पर भी बात की और बताया कि भारतीय सशस्त्र बल इससे किस प्रकार निपट रहे हैं.उन्होंने सुरक्षा चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि परमाणु हथियारों से सम्पन्न पड़ोसियों (पाकिस्तान एवं चीन) के साथ ‘‘लगातार टकराव’’ के कारण क्षेत्रीय सामरिक अस्थिरता पैदा होने और उसके बढ़ने का खतरा है.
जनरल रावत ने कहा कि भारत ने जिन दो देशों के साथ युद्ध लड़ा है, वे मिलकर काम कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के ‘‘लगातार छद्म युद्ध’’ और भारत के खिलाफ ‘‘दुष्ट’’ बयानबाजी के कारण भारत और पाकिस्तान के संबंध और भी खराब हो गए हैं.
जनरल रावत ने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय की ओर आयोजित सम्मेलन में कहा कि उरी हमले और बालाकोट में हवाई हमलों के बाद सर्जिकल हमलों ने कड़ा संदेश दिया है कि पाकिस्तान अब नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों को भेजने के बाद बच नहीं सकता.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के भारत के नए तरीके के कारण पाकिस्तान में अस्पष्टता और अनिश्चितता पैदा हो गई है. उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद का सख्ती से सामना करेगा.
जनरल रावत ने कहा कि आंतरिक समस्याओं, अर्थव्यवस्था के ढहने, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग होने और आम नागरिकों एवं सेना के बीच खराब संबंधों के बावजूद पाकिस्तान लगातार यह दिखाता रहेगा कि कश्मीर उसका ‘‘अधूरा एजेंडा’’ है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना युद्ध लड़ने की अपनी क्षमताओं को बरकरार रखने के लिए धन की आवश्यकता को सही ठहराने के लिए भारत से अपने अस्तित्व को खतरे का हौआ दिखाती रहेगी.