नईदिल्ली। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत बनने वाले ग्वादर बंदरगाह और व्यापारिक रास्तों की हिफाजत के लिए चीन ने अपनी नौसेना को तैनात करने का फैसला किया है CPEC परियोजना 46 अरब डॉलर की है। चीन और पाकिस्तान अरब सागर में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिंजियांग प्रांत से जोड़ने के लिए करीब 3,000 किलोमीटर लंबा आर्थिक गलियारा बना रहे हैं। यह कदम चीन में तेल परिवहन के लिए एक नया और सस्ता मालवाहक मार्ग खोलेगा। साथ ही, इस रास्ते से चीनी वस्तुओं का मध्यपूर्व और अफ्रीका में निर्यात होगा।
पाकिस्तानी नौसेना के मुताबिक ग्वादर बंदरगाह को शुरू किए जाने और CPEC के तहत आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के बाद समुद्री बलों की भूमिका बढ़ गई है। सूत्रों के मुताबिक चीन CPEC के तहत बंदरगाह और व्यापार की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान नौसेना के सहयोग से नौसेना के जहाज तैनात करेगा। इससे पहले चीन यह कहने से बचता रहा है कि उसकी योजना ग्वादर में नौसैन्य पोत तैनात करने की है। यह कदम अमेरिका और भारत में चिंता पैदा कर सकता है। चीन की तरफ से CPEC और ग्वादर बंदरगाह पर सैन्य क्षमताएं बढाने से अरब सागर में चीनी नौसेना की पहुंच आसान हो जाएगी। साथ ही ग्वादर में नौसैनिक अड्डा होने से चीनी जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में अपने बेड़े की मरम्मत और रखरखाव जैसे कार्य के लिए भी बंदरगाह का इस्तेमाल कर पाएंगे।
इसके पहले ही खबर आई थी कि इस आर्थिक गलियारे को लेकर पाकिस्तान के अंदर भी काफी सवाल खड़े हो रहे हैं। खबरों के मुताबिक, पाकिस्तानी सरकार द्वारा चीन को इतनी दखलंदाजी किए जाने की इजाजत देने पर आपत्तियां खड़ी हो रही हैं। साथ ही, ये सवाल भी उठ रहे हैं कि चीन भविष्य में भारत के साथ व्यापार के लिए भी CPEC का इस्तेमाल कर सकता है। उधर, बलूचिस्तान में CPEC को लेकर लंबे समय से विरोध चल रहा है। वहां के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहा है।