कोरोना संकट की वजह से मार्च से अगस्त तक किसी भी तरह के लोन की EMI या फिर क्रेडिट कार्ड के पेमेंट नहीं करने क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ा. लेकिन अब सितंबर से अगर पेमेंट में लापरवाही होने पर फाइन के साथ-साथ क्रेडिट स्कोर पर निगेटिव असर पड़ने वाला है. क्योंकि 31 अगस्त को मोरेटोरियम की अवधि खत्म हो चुकी है.
दरअसल, कोरोना संकट के बीच बड़े पैमाने पर लोगों ने बैंकों से लोन ले रखे हैं. इसके अलावा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी जमकर हुआ है. खासकर लॉकडाउन और फिर उसके बाद घर बैठे-बैठे क्रेडिट कार्ड से खूब शॉपिंग हुई है.
अक्सर ऐसा होता है कि हमें कोई ऐसी चीज पसंद आ जाती है जिसे तुरंत खरीदना हमारे बजट से बाहर होता है. ऐसे समय में हमारा साथ देता है क्रेडिट कार्ड जिससे हम कैश न होने पर भी मनचाही चीज खरीद लेते हैं. लेकिन सही समय पर क्रेडिट कार्ड का पेमेंट नहीं होने से भारी ब्याज का भुगतान करना पड़ता है.
देर से EMI भरना, क्रेडिट कार्ड का सही समय पर भुगतान नहीं करना, ऐसे कदम से सिबिल स्कोर पर प्रतिकूल असर पड़ता है. इसके अलावा लोन के विषय में बहुत ज्यादा पूछताछ करने करने से भी सिबिल स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ता है, क्योंकि आप जितने बैंक से संपर्क करेंगे सभी बैंक सिबिल स्कोर चेक करेंगे. लगातार सिबिल चेक होने से उसपर निगेटिव असर पड़ता है.
सही वक्त पर करें पेमेंट: क्रेडिट स्कोर अच्छा रहे इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि वह अपने सभी तरह के लोन की EMI और क्रेडिट कार्ड के बिल को अंतिम तिथि से पहले पेमेंट कर दें. समय पर पेमेंट करने से क्रेडिट स्कोर अच्छा रहता है. लेकिन जब कोई समय पर नहीं चुकाते हैं तो उसका स्कोर खराब हो जाता है और फिर आगे किसी भी तरह के लोन लेने में परेशानी होती है. साथ लेट से पेमेंट करने पर फाइन भी भरना पड़ता है.
क्रेडिट लिमिट का पूरा इस्तेमाल ना करें: क्रेडिट कार्ड की पूरी लिमिट का इस्तेमाल करने से हमेशा बचना चाहिए. ऐसा करने से क्रेडिट प्रोफाइल लॉन्ग टर्म में निगेटिव हो सकती है. अगर कोई यूजर्स क्रेडिट लिमिट का पूरा इस्तेमाल कर लेते हैं तो उसे बैंक क्रेडिट हंग्री की कैटेगरी में डाल देता है. आमतौर पर कुल लिमिट के 40 फीसद तक का ही इस्तेमाल करना चाहिए.