देश के प्रथम गृह मंत्री एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति अब तक विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति की श्रेणी में शुमार था,लेकिन अब उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री रामचन्द्र जी की मूर्ति लगाने की योजना पर मन्थन चल रहा है। जो विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति होगी जिसकी लम्बाई करीब 201 मीटर होगी। इसकी आधिकारिक घोषणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर महन्थ योगी आदित्यनाथ जी महाराज दीपावली के अवसर पर कर सकते हैं।
विश्वस्त सूत्रों से मिली खबर मुताबिक लौह पुरुष सरदार पटेल की मूर्ति पैडस्टल सहित 182 मीटर है।जो अभी तक विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है। सरदार पटेल जी की इस मूर्ति पर करीब ₹2989 करोड़ खर्च हुए हैं। लेकिन इससे भी ऊंची मूर्ति भगवान श्री रामचन्द्र की अयोध्या में लगाने पर विचार हो रहा है। जो सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति की रिकॉर्ड तोड़ेगी।
-मूर्ति स्थापना का प्रस्ताव एक बैठक में रखा जा चुका है।
-सरदार पटेल की मूर्ति से भी ऊंचा होगा श्री राम की मूर्ति।
-सीएम योगी दीपावली के अवसर पर कर सकते हैं घोषणा।
-श्री रामचन्द्र की मूर्ति होगी 201 मीटर ऊँची।
भगवान श्री रामचन्द्र जी की मूर्ति स्थापना का प्रस्ताव एक अहम बैठक में रखा जा चुका है।हालांकि इसके शिलान्यास का अभी कार्यक्रम तय नहीं किया जा सका है।लेकिन बताया जा रहा है कि मूर्ति स्थापना की घोषणा सीएम योगी आदित्यनाथ बहुत जल्द कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक भगवान श्री रामचन्द्र की मूर्ति की कुल ऊंचाईपैडस्टल सहित 201 मीटर होगी,जिसमें 151 मीटर की मूर्ति और 50 मीटर का पैडस्टल होगा। श्री रामचन्द्र की यह मूर्ति पूर्ण रूप से कांसे से बनाई जाएगी।
श्री राम के साथ भक्त हनुमान जी की भी मूर्ति बनकर तैयार
भगवान श्री राम जी के साथ इनके भक्त हनुमान जी की भी मूर्ति बनकर लगभग तैयार है।अयोध्या आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए इसे दर्शनीय बनाने की योजना है। श्री रामचन्द्र और हनुमान जी की मूर्तियों को स्वयं अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने उपलब्ध कराई है।
मूर्ति ईशान कोण में स्थापित होगी: ज्योतिषी
विश्वस्त सूत्रों से खबर मिली है की भगवान श्री रामचन्द्र जी की मूर्ति पहले अयोध्या के श्री राम लला मन्दिर के तरफ मुंह करके लगाने का प्रस्ताव था।लेकिन अब ज्योतिषियों के विशेष सलाहनुसार अब इसको ईशान कोण की ओर मुंह करके स्थापित किया जाएगा।ऐसा इसलिए क्योंकि वास्तु शास्त्र के मुताबिक ईशान कोण को ईश्वर का कोण कहा जाता है।यह कोण उत्तर-पूर्व की कोना को कहते हैंऔर वास्तु शास्त्र मुताबिक इस कोण पर ईश्वर का वास स्थान माना जाता है।
( शिवरतन कुमार गुप्ता )