सरकार अपना ही गुणगान करने में मग्न, आम लोगों की समस्याओं की उसे परवाह नहीं : कांग्रेस

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर अपना ही गुणगान करते रहने एवं आम लोगों की समस्याओं की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के नेताओं ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि न तो करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद गंगा साफ हुई, न ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद वहां आतंकी हिंसा में कमी आई, उल्टे देश भर में महंगाई और बेरोजगारी ने कोविड के कारण पहले से ही परेशान आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी.

राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर उच्च सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए सदन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया ‘‘राष्ट्रपति का यह अभिभाषण न तो कोई नीतिगत दस्तावेज है और न ही उसमें कोई दृष्टिकोण है. इसमें सरकार ने केवल अपनी उपलब्धियों का ही बखान किया है. जनता के बुनियादी मसले जैसे महंगाई, बेरोजगारी, अनुसूचित जाति जनजाति समुदाय के लोगों के साथ ज्यादतियां आदि यथावत हैं जिनका इसमें कोई जिक्र ही नहीं है.’’

सरकार पर ‘‘काम कम करने और प्रचार ज्यादा करने’’ का आरोप लगाते हुए खड़गे ने कहा ‘‘आज लोकतंत्र खतरे में है. स्थिति यह है कि सच बोलने वाले को देशद्रोही करार दे दिया जाता है. बार बार हम पर सवाल उठाया जाता है कि हमने 70 साल में क्या किया ? अगर हमने 70 साल में कुछ नहीं किया होता तो यह सवाल करने वाले लोग ऊंचे पदों पर नहीं बैठे होते.’’

उन्होंने कहा कि सरकार को बहुत कुछ विरासत में मिला लेकिन वह ‘‘हमारे किए गए कामों का श्रेय स्वयं ले रही है और हम पर इतने साल तक कुछ नहीं करने का आरोप लगाती है.’’

खड़गे ने बेरोजगारी का जिक्र करते हुए कहा ‘‘2014 में आपने कहा था कि हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरियां दी जाएंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नौकरियां तो दी नहीं गईं, उल्टे बेरोजगारी ही तेजी से बढ़ी. आज करीब नौ लाख सरकारी पद खाली हैं. रेलवे में 15 प्रतिशत, रक्षा में 40 प्रतिशत पद खाली हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय में भी रिक्तियां हैं. पांच साल में केवल 60 लाख लोगों को ही नौकरी मिली. ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में नौ प्रतिशत है. एमएसएमई क्षेत्र में 60 प्रतिशत इकाइयां बंद पड़ी हैं.’’

खड़गे जब अपनी बात रख रहे थे तब सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा ‘‘इसे कभी आपने (मोदी ने) हमारी विफलता का जीता-जागता स्मारक बताया था. लेकिन हमारा यही मनरेगा कोविड काल में गरीबों के लिए सबसे मददगार साबित हुआ. इसके बावजूद इसे 73 हजार करोड़ रुपये का आवंटन मिला. आपने 100 दिन के रोजगार का और कोविड काल में 150 दिन के रोजगार का वादा किया था लेकिन केवल 20 दिन का ही रोजगार दिया गया.’’

उन्होंने आरोप लगाया कि अभिभाषण में महंगाई का जिक्र ही नहीं है जबकि 2021 में 12 साल का रिकार्ड टूट गया और मुद्रास्फीति आज 14.23 प्रतिशत है. उन्होंने कहा ‘‘कच्चे तेल की कीमत घटने के बाद भी पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते गए. सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा कर 25 लाख करोड़ रुपये कमाए. लेकिन पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते गए और इसकी वजह से हर चीज महंगी होती गई. एलपीजी के दाम 117 प्रतिशत बढ़े। 2014 में एक सिलिंडर की कीमत 414 रुपये थी जो आज 1000 रुपये हो गई. क्या यही अच्छे दिन हैं ?’’

खड़गे ने कहा कि महांगई इतनी बढ़ गई है कि आम आदमी के लिए गुजारा करना मुश्किल हो गया है. ‘‘महंगाई, बेरोजगारी बढ़ रही है फिर अच्छे दिन कहां हैं? भुखमरी सूचकांक में 116 देशों में भारत 101 पायदान पर है.’’

उन्होंने कहा कि गहन विचार विमर्श के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा कानून ले कर आई थी.

उन्होंने कहा ‘‘2013 में चीन के साथ सीमा पर तनाव के दौरान तत्कालीन विपक्ष की ओर से कहा गया था कि सरकार लाल आंखें कर चीन को समझाए. लेकिन आज चीन हमारी जमीन पर अतिक्रमण कर रहा है तब सरकार की आंखें लाल क्यों नहीं होतीं? आज सरकार ने क्यों मौन धारण कर रखा है? सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए. सीमा पर भारत के कई सैनिकों की जान जा चुकी है. ’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा ‘‘2013 में चीन के साथ आयात तीन लाख आठ हजार करोड़ रुपये था. आज सात लाख 20 हजार करोड़ रुपये का आयात हो रहा है. जबकि व्यापार घाटा लगातार बढ़ा है. इसे आत्मनिर्भरता कहना ठीक होगा या चीन पर निर्भरता कहना ठीक होगा ? यह स्थिति ‘मेक इन इंडिया’ की घोषणा के बाद है. ’’ उन्होंने इसे सरकार की असफलता करार दिया.

उन्होंने सरकार पर निजीकरण की ओर अधिक ध्यान देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा ‘‘एयर इंडिया तो घाटे में था. लेकिन एलआईसी तो घाटे में नहीं है. इसी तरह के, सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रम हैं जिन्हें घाटे में बता कर निजीकरण की राह दिखाई जा रही है.’’

खड़गे ने कहा कि सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुना करने का वादा किया था. ‘‘लेकिन आज उनकी दोगुना आमदनी की बात तो छोड़ दें, अभिभाषण में उनका जिक्र ही नहीं है. तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक साल से अधिक समय तक किसानों ने धरना दिया और इस दौरान सात सौ किसानों की जान गई. अगर सरकार तीनों कृषि कानून पहले ही वापस ले लेती तो इन किसानों की जान बच सकती थी.’’

उन्होंने कहा ‘‘किसानों की आमदनी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवार वालों को मुआवजा दिया जाना चाहिए. आंदोलन कर रहे किसानों के लिए आतंकवादी जैसे शब्दों का उपयोग किया गया और एक मंत्री के बेटे ने तो लखीमपुर में किसानों को वाहन से कुचल दिया. लेकिन यह सब करने वालों पर कोई कार्रवाई उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए नहीं की गई.’’

नेता प्रतिपक्ष ने दलितों पर अत्याचार होने का दावा करते हुए कहा ‘‘2015 से लेकर 2020 के दौरान अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ अपराध में 30 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध में 26 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप की रकम छह करोड़ रुपये थी जो आज घटाकर आधे से भी कम की जा चुकी है. ईसाई समुदाय के लोगों पर धर्मांतरण और विभिन्न आरोपों में हमले बढ़े हैं. उनके पूजा स्थलों पर हमले हुए हैं. कर्नाटक में तो धर्मांतरण रोधी विधेयक लाया गया. यह अल्पसंख्यकों को परेशान करने वाली बात है. यह देश के लिए अच्छा नहीं है.’’

उन्होंने दावा किया कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में करीब 500 आतंकी घटनाएं हुई हैं तथा करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी गंगा मैली ही है.

खड़गे ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह बड़ी आबादी के कोविड रोधी टीकाकरण का श्रेय ले रही है लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण में करीब 47 फीसदी टीकाकरण की बात कही गई है. उन्होंने सरकार पर कोविड से जान गंवाने वालों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि गंगा नदी में शवों के बहने की तस्वीरें हृदय विदारक थीं. उन्होंने कोविड महामारी में जान गंवाने वालों को समुचित मुआवजा दिए जाने की मांग की. उन्होंने ‘‘पीएम केयर्स’’ कोष का हिसाब दिए जाने की मांग भी की.

उन्होंने तीन श्रम कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि ये कानून श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं. इन कानूनों के कारण श्रमिक न तो हड़ताल कर सकते हैं और न ही उनकी नौकरी सुरक्षित रह पाती है.

उन्होंने सरकार पर राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सीबीआई, ईडी आदि का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा ‘‘सत्ताधारी दल से जब कोई विपक्षी दल में आता है तो उसके खिलाफ कई मामले खुल जाते हैं. लेकिन विपक्षी दल से जब कोई आपके दल में जाता है तो संबंधित राज्य में न केवल आपकी सरकार बन जाती है बल्कि उसके खिलाफ फाइल खुलती भी नहीं.’’

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