देश में कोरोना वायरस (coronavirus) की रोकथाम को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि निजी लैब लोगों से कोरोना कि जांच के पैसे नहीं ले सकते उन्हें जांच मुफ्त में करनी होगी. हालाँकि इससे पहले सरकार ने निजी लैब को कोरोना की जांच के लिए 4500 रुपए तक लेने की इजाजत दी थी.
वकील शशांक देव सुधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी थी. यह कहा था कि कोरोना की रोकथाम सरकार की जिम्मेदारी है. लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. ऐसे में इतने महंगे देश से लोग बचने की कोशिश करेंगे. इससे बीमारी फैलने का अंदेशा होगा. इसलिए जिस तरह से सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जांच हो रही है. वैसा ही निजी लैब में भी किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को सही ठहराते हुए आदेश दिया है कि निजी लैब को कोरोना की जांच के लिए पैसे लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती. देश बीमारी के चलते जिस तरह की गंभीर स्थिति से गुजर रहा है, उसमें इस तरह की जांच को लोगों के लिए निशुल्क रखा जाना जरूरी है, ताकि बीमारी पर लगाम लगाना आसान हो सके.
अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन निजी लैब को कोरोना टेस्ट की इजाजत दी गई है, उन्हें सरकार कोर्ट के आदेश की जानकारी दे. उन्हें निर्देश दे कि वह लोगों की जांच मुफ्त में करेंगे. कोर्ट ने यह भी कहा है कि आगे की सुनवाई में इन निजी लैब को सरकार से कोई रकम दिलवाने पर विचार किया जाएगा. लेकिन फिलहाल यह जरूरी है कि जांच को लोगों के लिए मुफ्त कर दिया जाए.