नईदिल्ली। 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट को बैन करने के बाद भले ही ब्लैक मनी और नकली नोटों पर सिकंजा कसने की बात कही जा रही हो लेकिन नोटबंदी से ग्रामीण इलाकों में रोजगार घटा है और बुआई के सीजन में किसानों पर नकारात्मक असर पड़ा है।
नोटबंदी के बाद के हालत पर वरिष्ठ अधिकारीयों द्वारा सरकार को सौपीं गई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मुख्य समस्या नकदी की कमी की नहीं, बल्कि छोटे डिनॉमिनेशन के नोटों की कम उपलब्धता की है। रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में तुरंत छोटे डिनॉमिनेशन के नोट भेजने, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंकों के लिए नॉर्म्स में छूट देने और कैशलेस ट्रांजैक्शंस के लिए प्रचार तेज करने के सुझाव दिए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक देश के अलग अलग राज्यों में नोटबंदी का असर एक सामान नहीं है लेकिन लोगों की रोजमर्रा के जीवन और किसानों की आर्थिक हालत पर इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार अध्यन में पाया गया कि-
कर्नाटक में नोटबंदी को लेकर आम प्रतिक्रिया बेहतर है, लेकिन राज्य में नए करंसी नोटों की भारी कमी है। अगर महीने के अंत तक स्थिति सुधाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो विशेषतौर पर सैलरीड क्लास की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। वहीँ राज्य में कोऑपरेटिव बैंकों के काम न करने से किसानों पर बुरा असर पड़ा है।
तमिलनाडु में कम डिनॉमिनेशन के नोटों की कमी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीनी स्तर पर स्थिति खराब है, लेकिन अगर सिस्टम में पर्याप्त नकदी पहुंचाई जाती है तो हालात बेहतर हो सकते हैं। तमिलनाडु में भी शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति अधिक खराब है।
उत्तराखंड में पाया गया की नोटबंदी के बाद राज्य में कोई बड़ा असर नहीं नहीं पाया क्योंकि अन्य राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड में कैश की जरूरतें कम हैं। हालांकि, राज्य के ऊधमसिंह नगर जैसे मैदानी इलाकों में स्थिति ठीक नहीं है क्योंकि खेती पर बुरा असर पड़ा है।
मध्य प्रदेश के शहरी इलाकों में नोटबंदी से मुश्किलें होने की बात कही गई है। मध्य प्रदेश में कैश की कमी की समस्या बरकरार है और बैंकों को भी लोगों की लंबी कतारों की वजह से दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
झारखंड और छत्तीसगढ़, इन दोनों राज्यों में नोटबंदी को लेकर जनता की प्रतिक्रिया सकारात्मक है, लेकिन बिहार में केंद्र के इस फैसले को लेकर लोग नाराज हैं