होली से पहले सरकार ने नौकरीपेशा लोगों को बड़ा झटका दिया है. उम्मीदों के विपरीत कर्मचारी भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज दरों में कटौती की घोषणा से कर्मचारियों में निराशा देखी जा रही है. दरअसल EPFO ने वर्ष 2021-22 के लिए 8.1 फीसदी ब्याज दर की घोषणा की है, जो वर्ष 2020-21 की तुलना में 0.4 फ़ीसदी कम है. इस फ़ैसले से भविष्य निधि जमा पर ब्याज चार दशक के निचले स्तर आ गई है. यह 1977-78 के बाद से सबसे कम है, जब ईपीएफ की ब्याज दर 8 फीसदी थी. ग़ौरतलब है कि वर्ष 2020-21 में कर्मचारी भविष्य निधि पर व्याज दर 8.5 प्रतिशत थी।
सूत्रों का कहना है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) ने हाल ही में हुई बैठक में 2021-22 के लिए ईपीएफ पर 8.1 प्रतिशत ब्याज दर देने का फैसला किया है. आपको बता दें कि सीबीटी ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर मार्च 2021 में तय की थी.
अब सीबीटी के फैसले के बाद 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर वित्त मंत्रालय की मंज़ूरी के लिए भेजी जाएगी क्योंकि EPFO सरकार द्वारा वित्त मंत्रालय के माध्यम से इसकी पुष्टि करने के बाद ही ब्याज दर प्रदान करता है.
मार्च 2020 में, EPFO ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को 2018-19 के लिए प्रदान किए गए 8.65 प्रतिशत से घटा कर 8.5 प्रतिशत तक कम कर दिया था. साल 2019-20 के लिए ब्याज दर सात साल के निचले स्तर आ गई थी. 2019-20 के लिए प्रदान की गई ईपीएफ ब्याज दर 2012-13 के बाद से सबसे कम थी, जब इसे घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया गया था.
पीएफओ ने अपने ग्राहकों को 2016-17 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी ब्याज दर दिया था. वित्त वर्ष 2015-16 में ब्याज दर 8.8 प्रतिशत से थोड़ी अधिक थी. इसने 2013-14 के साथ-साथ 2014-15 में भी 8.75 प्रतिशत ब्याज दिया था, जो 2012-13 के 8.5 प्रतिशत से अधिक है. 2011-12 में ब्याज दर 8.25 फीसदी थी.