कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में सिंघू बॉर्डर के निकट प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन कर रहे एक सिख संत ने बुधवार को कथित रूप से आत्महत्या कर ली. पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस ने कहा कि मृतक ने कथित रूप से पंजाबी में हाथ से लिखा एक नोट भी छोड़ा है, जिसमें कहा गया है कि वह ‘किसानों का दर्द’ सहन नहीं कर पा रहा है.
पुलिस नोट की जांच कर रही है. सोनीपत पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें फोन आया था कि करनाल जिले के निसिंग इलाके के सिंघरा गांव के निवासी संत राम सिंह ने कथित रूप से खुद को गोली मार ली. सिंह को पानीपत के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक खबरों के अनुसार सिंह ने प्रदर्शन स्थल पर अपनी कार के निकट खुद को गोली मार ली. पुलिस ने परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
पुलिस ने कहा कि शव को एंबुलेंस में पोस्टमॉर्टम के लिये करनाल ले जाया गया. उनके अनुयायियों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. बाद में शव को सिंघरा गांव में नानकसर गुरुद्वारा ले जाया जाएगा, जहां बड़ी संख्या में उनके अनुयायी जुटे हैं.
करनाल के एसपी गंगा राम पुनिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इलाके में पुलिस तैनात कर दी गई है. उन्होंने कहा, ‘हालात शांतिपूर्ण और नियंत्रण में हैं.’ इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार को ‘जिद’ छोड़कर कानूनों के वापस ले लेना चाहिये.
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं. मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है. ज़िद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लो!’’
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि वह संत की आत्महत्या की खबर सुनकर आक्रोशित हैं. उन्होंने कहा, ‘संत जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि हालात और बिगड़ने न दे और तीन कृषि कानूनों के निरस्त कर दे.’