सरकार ने बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) को अपने खुद के इस्तेमाल (कैप्टिव) के लिए रैक की खरीद करने का निर्देश दिया है. इससे मानसून के सीजन में बिजली उत्पादक कंपनियों को कोयले की सुगम आपूर्ति सुनिश्चित हो पाएगी.
केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा कि हर साल मानसून के दौरान घरेलू कोयले के उत्पादन में गिरावट आती है. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार मानसून के दौरान उत्पादन और आपूर्ति के मुद्दों के मद्देनजर रैक की व्यवस्था कर रही है, मंत्री ने इसका सकारात्मक जवाब दिया.
सिंह ने कहा, ‘‘रैक एक और समस्या है.’ कोयला मंत्रालय कह रहा है कि कई ऐसे स्थान हैं जहां शुष्क ईंधन उपलब्ध है लेकिन उपलब्धता के अनुरूप इनका परिवहन नहीं हो पा रहा है.’’
उन्होंने कहा कि रैक की कमी के अलावा कुछ मार्गों पर ‘भीड़भाड़’ की वजह से भी आपूर्ति प्रभावित हो रही है.
सिंह ने कहा कि रेलवे को इन मार्गों पर भीड़भाड़ की समस्या के हल को कार्रवाई करने की जरूरत है, जिससे इन स्थानों से ज्यादा कोयला निकाला जा सके. कुछ ऐसे क्षेत्र जहां पर्याप्त रैक उपलब्ध हैं वहां कोयला मंत्रालय को उत्पादन बढ़ाना होगा.
उन्होंने कोई ब्योरे दिए बिना कहा, ‘‘भारतीय रेल अधिक रैक की खरीद कर रही है. ‘‘मैंने जेनको को रैक में निवेश करने का निर्देश दिया है.’’
मंत्री ने कहा कि यदि आपके पास अपना रैक होगा तो आपकी परिवहन की लागत बचेगी. रैक करीब 25-30 साल चलता है. एनटीपीसी के पास पहले से अपने रैक हैं। वे अपने रैक की संख्या बढ़ा रहे हैं। मैंने सभी राज्यों की बिजली उत्पादक कंपनियों से कहा है कि वे अपने रैक खरीदें. इससे रेलवे पर बोझ कम होगा.
उन्होंने कहा कि सरकार मानसून के दौरान बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार बढ़ाकर चार करोड़ टन पर पहुंचाने का प्रयास कर रही है। अभी इन संयंत्रों के पास 2.29 करोड़ टन का भंडार है.