HomeMiscellaneous2018 में रफ्तार पकड़ेगा भारत का टेलिकॉम सेक्टर

2018 में रफ्तार पकड़ेगा भारत का टेलिकॉम सेक्टर

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साल 2017 में भारत ने मोबाइल डेटा इस्तेमाल में अमेरिका और चीन के कुल डेटा कंजंप्शन को भी पीछे छोड़ दिया। 2017 में टेलिकॉम सेक्टर की कहानी पूरी तरह बदल गई, कंपनियों में टैरिफ वॉर चली और कॉल दरें तो लगभग फ्री तक हो गईं। डेटा की बढ़ती मांग को देखते हुए 2018 में सेक्टर की ग्रोथ नई रफ्तार पकड़ेगी और अगले दो सालों में करीब 3 लाख करोड़ रुपये निवेश टेलिकॉम सेक्टर में होने का अनुमान है।भारत के टेलिकॉम सेक्टर में 2017 बदलाव वाला साल रहा और साल के अंत तक मार्केट में केवल तीन बड़े प्लेयर्स बचे। माहौल कुछ ऐसा बन गया है कि टेलिकॉम सेक्टर में केवल वही कंपनियां बची रह सकती हैं जो बड़ा पैसा इन्वेस्ट कर सकती हैं। एक तरफ टाटा ने अपना टेलिकॉम बिजनस भारती एयरटेल को बेच दिया वहीं पिछले साल मार्केट में एंट्री लेने वाली मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने छोटे भाई की कंपनी आरकॉम का वायरलेस नेटवर्क खरीदा। 

 
दूसरी तरफ वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेलुलर ने एक होकर देश के सबसे बड़ा मोबाइल ऑपरेटर बनने का निर्णय लिया। एयरटेल ने टेलिनॉर की भारतीय कंपनी टेलिनॉर को खरीदने के अलावा तिकोना भी खरीदा। टेलिकॉम सेक्रटरी अरुणा सुंदराजन ने 2017 और 2018 में इंडस्ट्री के बारे में कहा, ‘2017 टेलिकॉम सेक्टर में कंपनियों के एक होने का रहा वहीं अगला साल सेक्टर की ग्रोथ का होगा।’ भारत का टेलिकॉम सेक्टर चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। 

जियो की एंट्री से कॉल दरें जहां मुफ्त होने तक के स्तर तक नीचे आ गई वहीं ग्राहकों के एक बड़े वर्ग ने पहली बार सस्ती दरों पर 4जी डेटा, सस्ते 4जी मोबाइल हैंडसेट जैसे अनदेखे सपनों को पूरा होते देखा। विश्लेषकों का कहना है कि यह साल भारतीय टेलिकॉम सेक्टर और कस्टमर्स के बारे में कई मिथकों को तोड़ने वाला रहा। एक बड़ा मिथक तो यह टूटा कि फीचर फोन बहुल भारतीय बाजार नई टेक्नॉलजी को नहीं अपनाएगा।


रिपोर्ट के अनुसार इस समय 80 प्रतिशत भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल स्मार्टफोन के जरिए कर रहे हैं। अमेरिकी वेंचर कैपिटल फर्म केपीसीबी की पार्टनर मैरी मीकर ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्री में ताजा बदलावों को रेखांकित किया है। इसके अनुसार ऐंड्रॉयड फोन पर बिताए जाने वाले समय के लिहाज से चीन को छोड दें तो भारत दुनिया में पहले स्थान पर है। देश में एक जीबी इंटरनेट डेटा की सालाना लागत 2014 की तुलना में घटकर लगभग आधी रह गई। किसी समय कहा जाता था कि वॉइस यानी फोन कॉल से होने वाली कमाई से ही चलता है लेकिन अब इसकी जगह डेटा ले चुका है। 
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