अस्पताल में भर्ती कोविड संक्रमित मरीजों के दिल से जुड़ी समस्याओं को लेकर टेस्ट के जरिये इसका पता चल सकता है कि उनकी मौत को लेकर खतरा कितना गंभीर है. हालांकि सार्स-सीओवी-2, कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस, मुख्य रूप से श्वसा नली को प्रभावित करता है, यह गंभीर अतालता, तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम, मायोकार्डिटिस और फुफ्फुसीय अन्त: शल्यता सहित हृदय संबंधी जटिलताओं को भी जन्म देता है.
इटली में सालेर्नो विश्वविद्यालय के शोधकतार्ओं की एक टीम ने 1,401 रोगियों की जांच की, जिनमें कोविड की पुष्टि के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लगभग 226 (16.1 प्रतिशत) ने प्रवेश के 48 घंटों के भीतर ट्रान्सथोरासिक इकोकार्डियोग्राफी करवाई. इनमें 68 रोगियों (30.1 प्रतिशत) में अस्पताल में मौत हुई.
कम बाएं वेंट्रिकुलर इजेक्शन अंश (एलवीईएफ), कम ट्राइकसपिड कुंडलाकार विमान सिस्टोलिक भ्रमण, और तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम स्वतंत्र रूप से अस्पताल में मृत्यु दर से जुड़े थे.
सालेर्नो विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक एंजेलो सिल्वरियो ने कहा, “रोग की गंभीरता के क्लिीनिकल और इकोकार्डियोग्राफिक पैरामीटर यह निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं कि कोविड रोगियों में अस्पताल में मृत्यु दर के लिए उच्च जोखिम है.”
यह शोध यूरोपियन जर्नल ऑफ क्लिीनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित हुआ था.
अध्ययन से पता चलता है कि प्रारंभिक एलवीईएफ घातक परिणाम की उच्च संभावना वाले रोगियों की पहचान करने के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है क्योंकि हृदय संबंधी जटिलताएं कोविड के रोगियों के परिणामों पर निगेटिव प्रभाव डाल सकती हैं.
शोध के एक बढ़ते शरीर से पता चलता है कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग वाले कुछ लोग एक बार कोरोनावायरस से संक्रमित होने के बाद अधिक गंभीर लक्षण और जटिलताएं विकसित कर सकते हैं.