साल 2018 का श्रावण मास 28 जुलाई शनिवार को श्रवण नक्षत्र (चंद्र नक्षत्र) में आरंभ हो रहा है। शनि इस संवत्सर का मंत्री और भगवान शंकर के गण भी हैं। चंद्रमा भगवान शंकर को अति प्रिय है और मानसिक शांति देने वाला है। इसलिए श्रावण मास शुभ रहेगा। श्रावण पूरे तीस दिन का है और पूर्णिमा की गणना के अनुसार चार सोमवार रहेंगे।
हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि संक्रांति की गणना के अनुसार श्रावण माह सोलह जुलाई से आरंभ हो चुका है। यानि पहला सोमवार बीत चुका है। उत्तराखंड, नेपाल और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में लोग संक्रांति की गणना को मानते हैं। उनके अनुसार यह अटारी योग है। इस तरह पांच सोमवार होंगे। लेकिन श्रावण में चार ही सोमवार रहेंगे। संक्रांति की गणना के अनुसार इस वर्ष श्रावण के महीने में रोटक व्रत लग रहा है। जिस साल यह पांच सोमवार होते हैं उसी साल यह व्रत लगता है।
पूरे तीस दिन का सावन
इस साल श्रावण के पहले सोमवार को 5-30 जुलाई को सौभाग्य योग बन रहा है। धनिष्ठा नक्षत्र है और द्विपुष्कर योग का भी संयोग बन रहा है। इस लिए यह माह अतिशुभ फलदायी रहेगा।
शिव भक्तों के लिए रहेगा लाभकारी
मेरठ के ज्योतिर्विद विभोर इंद्रसुत ने बताया कि इस वर्ष श्रावण माह का श्रवण नक्षत्र में और शनिवार के दिन से आरंभ होना शिव भक्तों के लिए लाभकारी रहेगा। माह में चार ही सोमवार रहेंगे। मगर धनिष्ठा नक्षत्र है और द्विपुष्कर योग एक अद्भुत संयोग है। यह उन्नीस वर्ष बाद बन रहा है।
श्रावण मास की महत्वपूर्ण तिथियां
28 जुलाई से श्रावण माह शुरू, 30 जुलाई को पहला श्रावण सोमवार, 6 अगस्त को दूसरा सोमवार,11 अगस्त को हरियाली अमावस्या, 13 अगस्त को तीसरा सोमवार एवं हरियाली तीज,20 अगस्त को चौथा सोमवार, 26 अगस्त को पूर्णिमा। पिछले साल सावन 29 दिन का हुआ था।
रुद्राभिषेक संग महामृंत्जय का करें जप
स्थानीय पंडित विष्णु दत्त शास्त्री ने बताया कि पूरे तीस दिन का श्रावण मास होने के साथ ही दुर्लभ संयोग बनने के कारण शुभफलदायी रहेगा। उन्होंने बताया कि इस माह में मंगलवार का व्रत देवी पार्वती के लिए किया जाता है। इसे गौरी मंगला व्रत भी कहते हैं। इसके साथ श्रावण का व्रत रखने से भी सुख शांति कर प्राप्ति होती है। रुद्राभिषेक संग महामृत्युंजय का जप करने से कई गुना फल मिलता है।
इनसे करें भगवान शिव की पूजा
भांग, धतूरा, वेलपत्ती, वेल दाना, पीला चंदन, दूध, दही, घी, शहद, इत्र, सफेद फूल और फल से नियमित पूजा करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं।