“शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पै मरने वालों का यही बाकी निशां होगा, कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे, जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा” यह कविता पढ़कर पुष्पम प्रिया चौधरी कहती हैं कि अब तो “अपना राज” भी आ गया पर जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी शहादत दी उनको यथोचित अब तक नहीं मिला.
आजादी के 74 साल होने को आ गए पर अभी तक सरकारों ने न तो अपने शहीदों का सम्मान करना सीखा और न ही उनका ठीक तरीके से इतिहास लेखन हुआ है. यह बात प्लुरल्स पार्टी की प्रेसिडेंट पुष्पम प्रिया चौधरी सिवान स्थित नरेंद्रपुर में अमर शहीद उमाकांत प्रसाद सिंह के आवक्ष प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद कही. उन्होंने प्रतिमा स्थल के रख-रखाव और उनकी अव्यवस्था देखकर क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने इतने कम उम्र में साहस का परिचय देकर अपनी शहादत दी हो उनका हम सम्मान करने में असफल रहें.
पटना के राम मोहन राय सेमिनरी में 9वीं के छात्र आजादी के मतवाले उमाकांत प्रसाद सिंह जिन्हें “रमण जी” के नाम से जाना जाता था ने 19 साल की अवस्था में सचिवालय में तिरंगा फहराने के क्रम में के शहादत दी थी.
11 अगस्त 1942 को ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देते हुए आजादी के सात मतवाले पुलिस की गोलियों से छलनी कर दिए गए थे. महात्मा गांधी के “करो या मरो” के आह्वान पर अगस्त क्रांति में शामिल हुए और सचिवालय पर तिरंगा फहराने की कोशिश करते हुए शहीद हो गए.
भारत माता के नाम पर अपने प्राणों की आहूति दे दी. हमारी आजादी के लिए घर-परिवार भूल गए पर अफसोस कि आज उन्हीं शहीदों को हम सब भूल रहे हैं”. कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे, जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा का सपना देखने वाले तो चले गए पर जिनके लिए उन्होंने सपना देखा वो उनको भूलते चले जा रहे हैं”. यह बात पुष्पम प्रिया चौधरी कह रही थी.