HomeMiscellaneousअक्षय तृतीया पर अपनाएं ये उपाय तो होंगी सभी कामनाएँ पूरी, जानें...

अक्षय तृतीया पर अपनाएं ये उपाय तो होंगी सभी कामनाएँ पूरी, जानें पूजा विधि, मंत्र एवं महत्व

- Advertisement -

कहते हैं कि अक्षय का अर्थ है जिसका क्षय न हो, यानी जो अनंत हो। लोगों के ज़हन में अक्षय तृतीया को लेकर कई सवा होते हैं, जैसे अक्षय तृतीया के दिन किस देवी-देवता की उपासना की जाए? क्या उपाय करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होंगे? और कैसे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी?

सूर्य देव को अघ्र्य दें
जानकार बताते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन की शुरुआत सूर्य देव को अघ्र्य अर्पण करके करनी चाहिए, ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा सदैव आप पर बनी रहेगी. इसके साथ ही यदि गायत्री मंत्र का जाप किया जाए तो अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है. मान्यता है कि इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने से सूर्य भगवान की कृपा प्राप्त होती है.

ऐसे करें मां लक्ष्मी का ध्यान 
आदि शंकराचार्य के कनकधारा स्तोत्रम सुने या फिर ध्यान करें. अपनी सारी इच्छा को लिखें और मां लक्ष्मी के सामने रखें यह एक बहुत ही कारगर उपाय है, इससे मां लक्ष्मी मनोकामना पूरी करती हैं.




दान जरूर करें, जल पिलाएं
अक्षय तृतीया पर दान अवश्य देना चाहिए, इस दिन प्यासे को जल पिलाने से बहुत पुण्य मिलता है. जल से संबंधित दान का भी प्रावधान है जैसे घड़ा, सुराही और आज के परिपेक्ष में देखें तो पानी की बोतल, वाटर फिल्टर एवं जल रखने वाले पात्र देने चाहिए.

अक्षय तृतीय पर क्या करें उपासना

  • सूर्य देवता के सम्मान में ओम नमो भगवते रामचंद्राय का 108 बार जाप करें.
  • चंद्र देवता के सम्मान में ओम नमो भगवते वासुदेवाय का 108 बार जाप करें.
  • रामचरित मानस या भगवत् गीता का पाठ करें.

देवी गौरी का तृतीया तिथि से संबंध है तो आप इनकी भी पूजा कर सकते हैं इस मंत्र के साथ ‘सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते.

बताया जाता है कि इसी दिन राजा युधिष्ठिर को भगवान सूर्य से अक्षय पात्र मिला था. इसी दिन निर्धन सुदामा, अपने सखा श्री कृष्ण से उनके राजा बनने के बाद पहली बार मिलने गए थे. निर्धनता के कारण श्री कृष्ण के लिए सुदामा चावल लेकर गए. वह कृष्ण को वह चावल देते हैं और अपने निर्धनता के बारे में कुछ नहीं बताते हालांकि वह बताना चाहते थे. पर जब अपने घर वापस आए तो उन्होंने पाया कि उनकी झोपड़ी की जगह एक महल खड़ा हुआ था. मान्यता तो यह भी है कि शंकराचार्यचार्य ने इसी दिन कनकधारा स्तोत्र का पाठ किया था.


- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -