ओडिशा में एक बार फिर से अस्पताल से एक पिता के बेटी की लाश को कंधे पर लाद ले जाने का चौकाने वाला मामला सामने आया है।अस्पताल के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते इस शख्स को शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। जिसके बाद यह व्यक्ति अपनी बेटी की लाश कंधे पर रखकर चल पड़ा। इस घटना ने ओडिशा सरकार के उस दावे की पोल खोल कर रख दी है जिसमे सरकार ने महाप्रयाण योजना को बेहतर बनाये जाने का दावा किया था।
मामला ४ जनवरी का है जब ओडिशा के अंगुल में गति धीबर अपनी सात साल की बेटी का इलाज कराने अस्पताल पहुंचा था। बेटी की मौत होने पर उसने शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की थी लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। अस्पताल से काफी निवेदन के बाद भी जब एंबुलेंस नहीं मिली तो वह बेटी की लाश को कंधे पर लेकर चल पड़ा। उसके साथ उसकी पत्नी भी थी। वे दोनों जब पैदल घर जा रहे थे तभी मीडिया के कुछ लोगों की नजर उन पर पड़ी। जिसके बाद मामले का खुलाशा हुआ।
वैसे उड़ीसा में इस तरह का यह कोई पहला मामला नही है। बीते साल अगस्त २०१६ में भवानीपटना के एक अस्पताल में दाना मांझी की पत्नी अमांग की मौत हो गई थी। जिसके दाना मांझी ने अपनी पत्नी की लाश को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी लेकिन अस्पताल ने मना कर दिया। आखिर में वह पत्नी की लाश को कंधे पर लेकर निकल पड़ा और 12 किलोमीटर तक पैदल ही चलता रहा। साथ में उसकी बेटी भी थी जो सारे रास्ते रोए जा रही थी।
वहीँ मामले की जानकारी सामने आते ही डीएम ने रिपोर्ट के आधार पर सिक्योरिटी गार्ड और जूनियर हॉस्पिटल मैनेजर को जिम्मेदार पाया गया और उन्हें सस्पेंड कर दिया। इसके अलावा सब-डिविजनल मेडिकल ऑफिसर से भी जवाब तलब किया गया है। लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि बच्ची की लाश कंधे पर उठाकर ले जाने वाला शख्स उसका चाचा था। क्योंकि उसके पिता बाहर थे।