प्लुरल्स पार्टी के प्रेसिडेंट पुष्पम प्रिया चौधरी ने कृषि उत्पादन को लेकर कहा कि “हालाँकि टर्शीएरी सर्विस सेक्टर के विकास से बिहार में एग्रीकल्चर का प्रोडक्शन में योगदान कम होते हुए 20% के दर पर आ जाना अर्थशास्त्रियों के लिए कृत्रिम ख़ुशी की बात हो सकती है लेकिन राज्य में कृषि की क्षमता के वैज्ञानिक इस्तेमाल से हम कोसों दूर हैं”.
उन्होंने कहा कि “2020-2030 में अर्थशास्त्र के नियमों को एक झटका देने की ज़रूरत होगी जिसका पहल लक्ष्य होगा फ़ूडग्रेन की प्रॉडक्टिविटी को कम से कम पाँच गुना बढ़ाकर उत्पादन को पहले 16 मिलियन टन से बढ़ाकर 80 मिलियन और फिर 2030 तक 150 मिलियन तक पहुँचाना और यह सम्भव है”.
पुष्पम प्रिया चौधरी ने कहा कि यह संभव सुमंत कुमार जैसे किसानों के नवाचारों से. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता विश्व-रिकॉर्डधारी किसान सुमंत कुमार जी के सुनहले खेतों से ही बिहार का स्वर्णिम भविष्य जुड़ा हुआ है. सुमंत कुमार की सिस्टम ऑफ़ राइस इंटेसिफिकेशन दशकों पुरानी टेकनीक है जिसका लाभ 2 टन/हेक्टेयर वाली सरकारें नहीं ले पाईं, और सुमंत कुमार के 22 टन/हेक्टेयर वाले विविधता का तो बिल्कुल नहीं जिसमें पूरी दुनियाँ की रुचि है.
प्लुरल्स पार्टी की प्रेसिडेंट पुष्पम प्रिया चौधरी ने बताया कि “फूडग्रेन प्रोडक्शन को बिहार 2020-30 में 16 मिलियन टन से 80-150 मिलियन टन पहुँचाना है और इसके लिए हमारी कार्ययोजना तैयार है”.बिहार में तो उद्योग के नाम पर राइस मिल ही रह गए हैं. अगर सरकारों ने इसको भी बढ़ावा दिया होता तो अपना चावल आज विदेशों में होता, पर यह भी न हो सका.
पुष्पम प्रिया चौधरी ने बताया कि जब वह ‘सम्पूर्ण क्रांति’ के 46 अपूर्ण साल पर 46 खोए अवसरों को तलाशते “पालीगंज बितरणी कृषक समिति पहुँचकर कलाम सर के खेती के ‘विज़न 2020’ को बाल्मीकी जी से सुना. उन्होंने अपने यहाँ धान-उत्पादन तीन गुना बढ़ाया. “पारम्परिक ज्ञान को टेक्नॉलजी सपोर्ट देकर 2020-30 में ऐग्रिकल्चर की ‘सम्पूर्ण क्रांति’ हासिल करने का लक्ष्य रखा.