दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक है. हिंदू पचांग के अनुसार, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा मनाया जाता है. प्रभु श्रीराम के हाथों रावण का वध होने के बाद से ही इसे मनाने की परंपरा चली आ रही है. वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था, इसलिए भी इसे विजय दशमी भी कहा जाता है.
इस साल विजय दशमी 5 अक्टूबर को मनाई जाएगी. 17 अक्टूबर से नवरात्रि का शुभारंभ होगा और 24 अक्टूबर को रामनवी के अगले ही दिन पूरे देश में दशहरे का पर्व मनाया जाएगा. इसके ठीक 20 दिन बाद यानी शनिवार, 14 नवंबर को दीवालीका पर्व मनाया जाएगा.
विजय दशमी 25 अक्टूबर को 7 बजकर 41 मिनट से 26 अक्टूबर को 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. इस बीच 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 40 तक विजय मुहूर्त रहेगा. जबकि 01 बजकर 11 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक अपराह्न पूजा का समय रहेगा.
इस दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए. इससे सम्पूर्ण बाधाओं का नाश होगा और जीवन में विजय श्री प्राप्त होगी. इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करना बड़ा फायदेमंद होता है. नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत होती है.