राजस्थान के जयपुर में 22 लोगों के जीका वायरस से संक्रमित होने की बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि अभी तक 86 देश इस वायरस की चपेट में आ चुकें हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरुरी हो जाता है कि आखिर जीका वायरस है क्या, क्या हैं इसके लक्षण और इससे बचाव के तरीके ? तो चलिए जानतें हैं…
जीका वायरस दरअसल डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह मच्छरों से फैलता है। इसके लक्षण डेंगू बुखार की ही तरह होते हैं जैसे कि थकान, बुखार, लाल आंखे, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और शरीर पर लाल चकत्ते बन जाना। बताया जाता है कि यह वायरस इतना खतरनाक है कि अगर किसी गर्भवती महिला को हो जाए तो गर्भ में पल रहे बच्चे को भी अपना शिकार बना लेता है। जिसके चलते न सिर्फबच्चे के सिर का विकास रूक सकता है बल्कि वर्टिकली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन भी फैल सकता है। वर्टिकली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन में स्किन रैशेज़ या दाग, पीलिया, लिवर से जुड़ी बीमारियां, अंधापन, दिमागी बीमारी, ऑटिज़्म, सुनने में दिक्कत जैसे कई समस्याएं हो सकती हैं और कई बार तो बच्चे की मौत भी हो जाती है।
चिकित्सकों की मानें तो जीका वायरस का न तो कोई टीका और न ही कोई उपचार है, ऐसे में इस संक्रमण से पीड़ित लोगों को दर्द में आराम देने के लिए पैरासिटामॉल (एसिटामिनोफेन) दी जाती है। अगर जीका वायरस से बचाव की बात करें तो मच्छरदानी का प्रयोग, आस-पास की साफ-सफाई, जमा हुए गंदे पानी की निकासी, मच्छरों को दूर भगाने वाली चीज़ों का इस्तेमाल और बुखार, गले में खराश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण नजर आने पर अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और तुरंत डाक्टरी परामर्श कारगर साबित होता है।