सुहागन महिलाएं सावन में क्यों पहनती हैं हरी कांच की चूड़ियां

जब खनकती हैं चूड़ियाँ तेरी कलाई में।

एक अजब सा साज़-ए-मुहब्बत फ़िज़ा में फैल जाती है।।

28 जुलाई शनिवार को श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि श्रावण नक्षत्र व प्रीति योग के अद्भुत संयोग के साथ भगवान सदाशिव का पवित्र मास सावन का महीना शुरू हो चुका है । तो हर जगह इस महीने के तैयारी शुरू होने के साथ-साथ शिव भक्त कांवड़ यात्रा में जा रहे हैं तो कहीं गांव के मन्दिरों पर ही शिव को पूजने और मनाने की जोरदार तैयारी की जा रही है। इस सावन के महीने में कई सारे तीज – त्यौहार और व्रत पड़ने वाले हैं। इस महीने का पूरे साल के 12 महीनों में काफी खास माना जाता है और इसका विशेष महत्व भी होता है । ये तो  सभी जानते हैं कि ये महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय मास माना जाता है,जिसमें भक्तों को भी पूजा-पाठ,ध्यान,योग,साधना करने का विशेष ही इंतजार रहता है। कहा जाता है की सावन के महीने में भगवान शिव माता पार्वती संग धरती पर ही रहते हैं,और भक्तों के साथ-साथ ही रहते हैं। यहॉ तक माना जाता है की कावड़ियों के साथ भगवान सदाशिव भी होते हैं और उनके साथ भगवान शिव भी झूम कर नाचते-गाते चलते ही रहते हैं।

पं.आचार्य वीरेंद्र मणि शास्त्री “सोहास” के मुताबिक इसके अलावा सावन मास में कई चीज़ों का विशेष ही अपना महत्व होता है – जैसे झूले का और महिलाओं के लिए तीज और व्रत का। साथ ही महिलाएं सावन के महीने में हरी कांच की चूड़ियां पहनती हैं।

सावन में हरी चूड़ियाँ क्यों पहनी जाती हैं ?

हम आपको यही बता रहे हैं कि सावन में ही हरी चूड़ियां क्यों पहनी जाती हैं और इसके पीछे का क्या कारण है-

कहा जाता है की सावन महीने में हर जगह हरियाली -ही- हरियाली होती है, और हरा रंग प्राकृतिक रंग होता है। जो महिलाओं के लिए काफी खास होता है। साथ ही हरी चूड़ियां महिला के सुहाग का प्रतीक भी मानी जाती हैं। वहीं इस महीने में भगवान शिव को पूजा जाता है। इसलिए महिलाएं हरे रंग की चूडियां पहनती हैं जिससे उन्‍हें भगवान शिव का आशीर्वाद भी मिले। भगवान शिव प्रकृति के बीच रहते हैं और उन्हें हरे रंग का बिल्व पत्र और धतूरा भी चढ़ाया जाता है जिससे भगवान शिव काफी प्रसन्न रहते हैं। इसलिए सावन में अधिकतर महिलाएं (99%) हरे रंग की ही चूड़ियां पहनती हैं और पसन्द करती हैं।

चूड़ी नहीं ए मेरा दिल है देखो।
देखो टूटे ना,चूड़ी नहीं मेरा दिल है।।

( शिवरतन कुमार गुप्ता की रिपोर्ट )

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