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“आइए हम सब मिलकर विजेता बनते हैं और चक्रवर्ती बिहार बनाते हैं”-पुष्पम प्रिया चौधरी

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“बिहार सिर्फ़ मेरी ज़िम्मेदारी नहीं है, बिहार सिर्फ़ मेरा धम्म (ड्यूटी) नहीं है, आप सबकी ज़िम्मेदारी है. आपमें से हज़ारों मुझे अपने गाँव-शहर बुला रहे. मैं हज़ारों जगह पहुँच भी जाऊँगी लेकिन कुल 45000 गाँव हैं, 144 शहर हैं. हज़ारों रह जाएँगे. मैं अब आपको ज़िम्मेदारी दे रही. आप भी ‘मैं’ बनकर हर जगह जाइए. मेरा और आपका खून एक ही है, उसमें बिहार ही दौड़ता है. अपने क्षेत्र में जाइए, देखिए, खेती, उद्योग, धरोहर, शिक्षा, स्वास्थ्य, बच्चों का क्या हाल है, क्या सम्भावनाएँ हैं, सूची बनाइए, मुझे भेजिए. सरकार बनाने के तुरंत बाद हम मिलकर सबसे पहले आपकी-मेरी सूची पर काम करेंगे. आप बाहर भी हैं – दिल्ली, बंगलोर, लंदन, न्यूयॉर्क, कहीं भी, तो सब कुछ छोड़ कर आईए, हमेशा के लिए नहीं तो चार महीने के लिए. आप किसी भी पार्टी से सहानुभूति रखते हैं, किसी भी जाति, धर्म के हैं, किसी भी विचारधारा से जुड़ें हैं – राइट, लेफ़्ट, सेंटर, कुछ भी, पहले बिहारी बनिए. बिहार ही अब विचारधारा है. अब किनारा पकड़ने का वक्त है, नहीं तो बिहार सहित हम सब डूबेंगे मँझधार में! हमारे पास चार महीने हैं और बिहार के पास मात्र दस साल हैं. चार महीने में बिहार और इसके 243 क्षेत्र और 72000 बूथ जीतने हैं. अभी नहीं तो फिर कभी नहीं. देश बाद में, पहले स्वदेश, हमारा बिहार, अपमान और जहालत को उखाड़ फेंक कर ‘देवों के प्रिय’ अशोक का बिहार. अपने गरम खून को पहचानिये, उसको बिहार की रगों में दौड़ाइए, मेरी तरह आप सब पे बिहार का क़र्ज़ है. अब क़र्ज़ उतारने का समय है. अब ड्यूटी का समय है, अब धम्म की जीत का समय है. आप सब अशोक बनिए और अपनी धम्म-यात्रा शुरू कीजिए, आज, अभी! मैं तो बिहार जीत रही हूँ, आइए हम सब मिलकर विजेता बनते हैं और चक्रवर्ती बिहार बनाते हैं, फिर से! ज़िंदा क़ौमें पाँच साल इंतज़ार नहीं करतीं!”
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