उत्तर भारत के प्रमुख पर्व में लोहड़ी का त्योहार भी काफी मायने रखता है. यह पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है.
फसल की बुवाई और कटाई के लिए लोहड़ी का त्योहार काफी अहम माना जाता है. किसान अपनी नई फसल को अग्नि देवता को समर्पित करते हुए लोहड़ी का त्योहार मनाते हैं. वहीं लोहड़ी के त्योहार को सती के अग्नि में खुद भस्म कर देने से जोड़ा जाता है. साथ ही मान्यता तो यह भी है कि यह पर्व पौष की आखिरी रात और माघ की पहली सुबह की ठंड को कम करने के लिए मनाया जाता है.
लोहड़ी से करीब एक महीने पहले से ही लोहड़ी के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे किए जाते हैं. छोटे बच्चे गीत गाकर लोहड़ी के लिए लकड़ियां, मेवे, रेवड़ियां जुटाने में लग जाते हैं. लोहड़ी की शाम को आग जलाई जाती है. लोग आग के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, खील, मक्का की आहुति देते हैं. आग के चारों ओर बैठकर लोग रेवड़ी, खील, गजक, मक्का खाने का भरपूर आनंद लेते हैं. जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें खास तौर पर बधाई दी जाती है. घर में नई दुल्हन और बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत खास होती है.