लोकसभा में वित्त विधेयक 2017 बिना किसी संशोधन के पारित कर दिया गया है। वहीं राज्यसभा के 5 संशोधनों के प्रस्ताव को लोकसभा में खारिज कर दिया गया। वित्त विधेयक के लोकसभा में पेश होने के पहले सरकार को राज्यसभा में हार का सामना करना पड़ा था और विपक्ष इसमें पांच संशोधन जुड़वाने में कामयाब रहा था।
राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण केंद्र सरकार को परेशानी उठानी पड़ी थी। भारी बहुमत के दम पर विपक्ष वित्त विधेयक, 2017 में अपने पांच संशोधन जुड़वाने में कामयाब रहा। पांचों संशोधन 27 से 34 वोटों के बड़े अंतर से पारित हुए। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के 10 सांसदों ने वोटिंग के दौरान वॉकआउट कर दिया था। करीब छह घंटे की चर्चा और संशोधनों के बाद विधेयक ध्वनिमत से पारित कर लोकसभा को लौटा दिया गया।
इस विधेयक पर विपक्ष का कहना था कि सरकार ने इस बिल के बहाने सरकारी शिकंजा कसने का इंतजाम किया है। वित्त विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, कैश के अधिकतम लेनदेन की सीमा तीन लाख से घटाकर दो लाख कर दी गई है। इसके जरिए सरकार को कई ट्राइब्यूनलों के अध्यक्षों और सदस्यों को हटाने का अधिकार मिल जाएगा। विधेयक के मुताबिक, कोई भी कंपनी किसी भी राजनीतिक पार्टी को गुप्त दान दे सकती है। कंपनियों द्वारा पार्टियों को चंदा दिए जाने की ऊपरी सीमा भी खत्म कर दी गई है। इसके जरिए पैन कार्ड बनवाने और इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए आधार नंबर को जरूरी कर दिया गया है।
विपक्ष का यह भी कहना था कि विधेयक के मुताबिक, इनकम टैक्स अधिकारी किसी भी व्यक्ति के घर बगैर कोई कारण बताए छापा मार सकते हैं और किसी भी व्यक्ति की कोई भी संपत्ति जब्त कर सकते हैं। आयकर अधिकारी किसी के बैंक खातों को भी फ्रीज कर सकते हैं और केस के निपटारे तक लोग बैंक खातों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।