महाराष्ट्र सरकार ने आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह और पुलिस उपायुक्त रैंक के एक अधिकारी को निलंबित कर दिया, जिनके खिलाफ जबरन वसूली के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त और 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी सिंह को निलंबित करने के आदेश को उस दिन मंजूरी दी गई थी, जिस दिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 12 नवंबर को रीढ़ की सर्जरी के बाद यहां एक निजी अस्पताल से छुट्टी मिली थी. एक अधिकारी ने कहा कि निलंबन आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकार ने उनके खिलाफ ‘‘कुछ अनियमितताओं और खामियों’’ को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है, जिसमें ड्यूटी से अनधिकृत अनुपस्थिति शामिल है.
सूत्रों ने कहा कि सिंह पिछले छह महीने में महाराष्ट्र होमगार्ड प्रमुख नियुक्त किए जाने के बाद पेश नहीं हुए. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें 29 अगस्त तक की छुट्टी दी गई थी, लेकिन उसके बाद भी वह ड्यूटी पर नहीं आए. सिंह ने मार्च में राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए थे, जब उन्हें एंटीलिया विस्फोटक सामग्री घटना के बाद मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया गया था.
उन्होंने देशमुख पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों से मुंबई में रेस्तरां और बार से एक महीने में 100 करोड़ रुपये लेने के लिए कहा था.हालांकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता ने इस आरोप से इनकार किया था.
इन आरोपों की जांच कर रहे आयोग ने सिंह को अपना बयान दर्ज करने के लिए पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन आईपीएस अधिकारी पिछले महीने ही उसके समक्ष पेश हुए थे.
निलंबन आदेश के अनुसार निलंबन की अवधि के दौरान, सिंह को यह प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर कि वह किसी अन्य रोजगार, व्यवसाय, पेशे या व्यवसाय में नहीं लगे हुए हैं, अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के नियम 4 के तहत स्वीकार्य निर्वाह भत्ता, महंगाई भत्ता और अन्य भत्ते का भुगतान किया जाएगा.
आदेश में यह भी कहा गया है कि इस अवधि के दौरान वह राज्य के पुलिस महानिदेशक की अनुमति के बिना अपने मुख्यालय, डीजी होमगार्ड के कार्यालय को नहीं छोड़ेंगे. अधिकारी ने बताया कि पुलिस उपायुक्त पराग मानेरे को भी निलंबित कर दिया गया है. मानेरे के निलंबन की अवधि के दौरान उनका मुख्यालय नागपुर एसपी कार्यालय होगा.