महाराष्ट्र सरकार ने संपत्ति कर (Property Tax) वृद्धि को एक और वित्तीय वर्ष के लिए टालने का फैसला किया है. अब इस फैसले से बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को 1,080 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने वाला है. संपत्ति कर संग्रह बीएमसी के लिए राजस्व के मुख्य स्रोतों में से एक है और मुंबई नगर निगम (एमएमसी) अधिनियम के अनुसार, संपत्ति कर की दर हर पांच साल के बाद संशोधित की जाती है.
पिछली संपत्ति कर वृद्धि 2015 में लागू की गई थी, जिसके बाद अगला संशोधन 2020 में होना था. हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण, तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने कर दरों में वृद्धि नहीं की थी. 2020 में, शहर में दूसरी लहर आने के बाद 2021 में इस निर्णय को फिर से दोहराया गया.
हालांकि, अगले कुछ महीनों के भीतर निकाय चुनाव होने के साथ, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 25 अगस्त को राज्य विधानसभा के आखिरी दिन कहा कि उन्होंने नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल को अभी तक कर दरों में एक और वर्ष वृद्धि नहीं करने का निर्देश दिया है.
अतिरिक्त नगर आयुक्त (परियोजना) पी वेलरासु ने बताया कि “इस साल संपत्ति कर की दरों को 18% संशोधित किया जाना था, जिसका अर्थ है कि राजस्व में 1,080 करोड़ की वृद्धि हो सकती थी. पिछले साल हमारे पास कर संग्रह ₹6,000 करोड़ के करीब था और अगर यह वृद्धि लागू की गई होती, तो कर संग्रह इस वित्तीय वर्ष के अंत तक ₹7,080 करोड़ तक पहुंच सकता था.”
बकौल हिन्दुस्तान टाइम्स, वित्त वर्ष 2021-22 में, बीएमसी ने अपने संपत्ति कर संग्रह को ₹392 करोड़ से अधिक हासिल किया क्योंकि यह ₹5,400 करोड़ के अपने वार्षिक लक्ष्य के मुकाबले संपत्ति करों में ₹5,792 करोड़ की वसूली करने में सक्षम था.