मेरा हुसैन नहीं तरसा था पानी के लिए,पानी खुद तरस गया लबे हुसैन के लिए
जैसी मरसिया जब कर्बला के मैदान में मुस्लिम भाइयों ने पढ़ा तो सबकी आँखे छलक उठीं।
या हसन या हुसैन की सदाओं के बीच मोहर्रम का मातमी जुलूस निकला गया। इस जुलुस में शामिल लोगों ने इमाम हुसैन की याद में आंसू बहाकर गम – ए- इजहार किया। इस दौरान ढोल – ताशों की हर थाप पर इमाम हुसैन और इमाम हसन की हर सदाएं याद आईं। कर्बला की लड़ाई को याद कर सभी की आँखे नम रहीं। देर शाम अकीदतमंदों ने ताजियों को खुटहा बाजार,नौतनवा,निचलौल,लक्ष्मीपुर देउरवा,गांगी बाजार,फरेंदा आदि जगहों के कर्बला के मैदान में दफन किया। ताजियों के मिलन के दौरान ढोल और ताशों से निकली मातमी धुन माहौल को मातम में बदल दिया। इमाम हसन और हुसैन की शहादत की याद में हर किसी के चेहरे पर उदासी नजर आई। इस दौरान गतका पार्टी के युवा कलाकारों ने कई हैरतअंगेज कारनामे दिखा कर कर्बला -ए – जंग का एहसास कराया।पायक बने युवकों ने मोर पंखों से इमाम हसन और हुसैन के शहादत को याद कर ताजिए को झाड़ा,और शिरनि चढ़ाया।