श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पञ्चमी तिथि का हिन्दू धर्म शास्त्रों में बड़ा ही काफी महत्व होता हैं। इस दिन हिन्दू धर्म के लोग पूरे विधि सम्मत नाग देवता की पूजा अर्चन कर परिवार के खुशहाली एवं तरक्की की कामना करते हैं। ऐसी मान्यता है की इस दिन नाग देवता की पूजा सच्चे मन से करने से काल सर्प दोषों से भी मुक्ति मिलती है। जिन जातक की जन्म कुण्डली में काल सर्पदोष हो उन जातकों को योग्य ब्राह्मण से शिव का रुद्रा भीषेक और महामृत्युंजय मन्त्र का सवा लाख पाठ कराने से काल सर्प दोषों से मुक्ति मिलती है।आइए जानते हैं नाग पञ्चमी के दिन और क्या करने चाहिए….
हिन्दू धर्म में नाग पंचमी का खास महत्व है और ये देश के कई राज्यों में सर्प पूजन के साथ ही मनाया जाता है।इस दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है तथा धान का लावा खिलाया जाता है।कहा जाता है नाग को खुश करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है।
नाग देवता के मंदिर या पास के शिवमन्दिर में जा कर फल, फूल, प्रसाद,अनार,बिल्वपत्र,दूध,लावा और मंत्रों के साथ सर्पों की पूजा करें और दूध से शिव जी का अभिषेक कराएं। कहा जाता है कि नाग देवता को खुश करने से भगवान शिव भी खुश होते हैं और मानव जीवन की रक्षा करते हैं। इसे गरुड़ पंचमी के नाम से भी जाना है और नाग के साथ आप गरुड़ की भी पूजा कर सकते हैं।
नागपंचमी 15 अगस्त को है
15 अगस्त को सुबह 05:55 से 8:31 तक
15 अगस्त को सुबह 03:27 बजे शुरू
16 अगस्त को सुबह 01:51 बजे खत्म
क्यों मनाई जाती है नागपंचमी:-
कहा जाता है भगवान श्री राम चन्द्र जी के अनुज (छोटे भाई) लक्ष्मण जी शेषावतार हैं,जो भाई की सेवा में तत्पर रहते हुए बहुत दिनों (14 वर्षों तक) अपनी पत्नी से दूर रहे।जब उनकी पत्नी को यह बात मालूम हुई की मेरे पति शेषावतार हैं…। तो उन्होंने एक रात लक्ष्मण जी से कहा की पतिदेव यदि आप कभी सर्प रूप में मेरे पास आ जाएं तो मैं आपको कैसे पहचान पाउंगी,की आप ही मेरे पति हैं।इस पर लक्ष्मण जी ने कहा की अच्छा जब वक्त आएगा तो आप पहचान लेंगी।
वक्त बीता… और उर्मिला जी अपनी ही बातें भूल बैठी। एक रात लक्ष्मण जी सर्प रूप में आकर उनसे अठखेलियां करने लगे।जब उर्मिला जी की नींद खुली तो अपने बिस्तर पर सर्प देख शोर मचाई। इतने में राजदरबार के सैनिक आकर उस सर्प की खूब पिटाई कर दिए, किसी तरह ओ सर्प (लक्ष्मण जी) भग कर अपनी जान बचाए।जब सारा मामला शांत हो गया तब लक्ष्मण जी उर्मिला जी के पास आकर पूछे की प्रिये! आपने मेरे ऊपर कितनी लाठियां बरसायीं हैं,अपने सैनिकों से कितना पिटवाया है…? यह सुनकर उनकी होश उड़ गई। नहीं प्रभु ऐसा नहीं हो सकता,मेरे बिस्तर पर एक सर्प आया था उसकी पिटाई हुई है। उन्होंने कहा की उर्मिला वो कोई और नहीं मैं ही था इतने में उर्मिला जी अपने पति से क्षमायाचना करने लगीं। जिस पर लक्ष्मण जी ने श्राप और आशीर्वाद देते हुए कहा की कलयुग में जो व्यक्ति श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग की पूजा करेगा दूध लावा चढ़ाएगा और शिव जी का दूध से अभिषेक करेगा, उसकी हर प्रकार से रक्षा होगी और मैं आपको श्राप देता हूँ की उसी दिन कन्याएं आपकी प्रतिमा कपड़े की बना कर जलाशयों पर जाएंगी जिन्हें हमारे भाई डण्डे से पिटेंगे और कन्याएं उन्हें मटर का प्रसाद वितरण करेंगी और अपने इस दोष से मुक्त होंगी। तभी से नागपंचमी का पर्व मनाया जाने लगा।