रूप चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, नरक चौदस, रूप चौदस के नामों से जाना जाता है. इस दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है. इसे छोटी दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है इस दिन संध्या के बाद दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है. नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी पर किए जाने वाले उन उपायों के बारे में जिससे अकाल मृत्यु से मुक्ति और भय को दूर किया जा सकता है…
1. ऐसी मान्यता है कि इस दिन आलस्य और बुराई को हटाकर जिंदगी में सच्चाई की रोशनी का आगमन होता है. रात को घर के बाहर दिए जलाकर रखने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु की संभावना टल जाती है. एक कथा के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था.
2. नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर तिल के तेल की मालिश और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर नहाना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए. ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य हासिल होता है.
3. नरक चतुर्दशी की रात मान्यतानुसार घर का सबसे बुजुर्ग पूरे घर में एक दिया जलाकर घुमाता है और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर जाकर रख देता है. इस दीए को यम दीया कहा जाता है. इस दौरान घर के बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दीए को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती है.
4. इस दिन दीए जलाकर घर के बाहर रखते हैं. ऐसी मान्यता है की दीप की रोशनी से पितरों को अपने लोक जाने का रास्ता दिखता है. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और पितरों की प्रसन्नता से देवता और देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. दीप दान से संतान सुख में आने वाली बाधा दूर होती है. इससे वंश की वृद्धि होती है.
Source : First Post