पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार में नेचुरल हेरिटेज को बचाने की वकालत करते हुए कहा कि आधारभूत संरचनाओं की कमी के कारण बिहार में इस तरह के पर्यटन केंद्रों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. उन्होंने सरकारी उपेक्षा और अज्ञानता पर प्रहार करते हुए कहा कि “बिहार के कैमूर में तेलहाड़ और नवादा में ककोलत जैसे अद्भुत वॉटरफॉल है. जिनके पास रेगिस्तान हैं वे भी ‘कुछ दिन बिता लेने’ का न्योता भेजकर अपनी इकॉनॉमी चमका ले रहे हैं, अरब सागर के उस पार तो कृत्रिम झरने और बादल बनाकर ग्लोबल सिटी दुबई में सपने भी बेच रहे हैं, पर यहाँ कैमूर औऱ नवादा में प्रकृति के वरदान पर बिहार में नक़ली नेताओं का ‘स्पेशल स्टेटस’ का विलाप है और बाहर आलू-बालू की छवि है”.
कैमूर का अधौरा बिहार का नेचुरल हेरिटज के बारे में पुष्पम प्रिया चौधरी ने कहा कि “बिजली-मोबाईल नेटवर्क नहीं, एजुकेशन, हेल्थ, डेवलपमेंट नहीं, फिर भी कैमूर का अधौरा बिहार का नेचुरल हेरिटज कैश-बैंक है”. तिल्हर जैसे वाटरफॉल, असंख्य पशु-पक्षी, तितलियों और हर्बल प्लांट्स की बायोडायवर्सिटी और अद्भुत वातावरण”. प्लुरल्स की प्रेसिडेंट ने इस हेरिटेज को ग्लोबल टूरिज्म इकॉनॉमी का वाहक बताते हुए कहती हैं कि “2020-30” का दशक इसको विकसित करने का दशक होगा. सुदूर दक्षिण-पश्चिम द्वार पर खड़ी दस्तक दे रही है!