प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिविल सेवा अधिकारियों से देश की एकता व अखंडता से कोई समझौता ना करने का आह्वान करते हुए कहा कि कोई भी फैसला वह चाहे कितना भी आकर्षक क्यों ना हो, लेने से पहले उन्हें उसे एकता व अखंडता की तराजू में जरूर तौलना चाहिए.
सिविल सेवा दिवस के अवसर पर यहां स्थित विज्ञान भवन में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार प्रदान करने के बाद सिविल सेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें अपने फैसलों में यह जरूर देखना चाहिए कि वह देश की एकता और अखंडता में कहीं रुकावट तो पैदा नहीं करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में सिविल सेवा अधिकारियों के सामने तीन लक्ष्य साफ-साफ होने चाहिए और इनसे कोई समझौता नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘पहला लक्ष्य है कि देश के सामान्य से सामान्य जन के जीवन में बदलाव लाना. ना सिर्फ उसके जीवन में बदलाव बल्कि सुगमता भी आए और उन्हें इसका एहसास भी हो. सरकार से मिलने वाले लाभों के लिए उन्हें जद्दोजहद ना करनी पड़े. हमें उनके सपनों को संकल्प में बदलना है. इसके लिए सकारात्मक वातावरण बनाना व्यवस्था की जिम्मेदारी है.’’
प्रधानमंत्री ने दूसरा लक्ष्य वैश्विक परिस्थितियों के अनुरूप नवीनता और आधुनिकता को अपनाना और तीसरा लक्ष्य एकता व अखंडता से समझौता ना करना बताया.
उन्होंने कहा, ‘‘… व्यवस्था में हम कहीं पर भी हों, लेकिन जिस व्यवस्था से हम निकले हैं, उसमें हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है देश की एकता और अखंडता. यह लक्ष्य कभी भी ओझल नहीं होना चाहिए. इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता.’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कोई भी निर्णय…वह चाहे कितना भी लोकलुभावन हो या आकर्षक हो, उसे उस तराजू पर जरूर तौलिए कि कहीं देश की एकता और अखंडता में वह बाधक या रूकावट तो नहीं पैदा करेगा.’’
केन्द्र और राज्य सरकारों के संगठनों और जिलों द्वारा जन हित के असाधारण और अभिनव कार्यों को सम्मानित करने के लिए ये पुरस्कार दिए जाते हैं. इस वर्ष प्राथमिकता के आधार पर पांच कार्यक्रमों के लिए 10 पुरस्कार दिए गए. केन्द्र तथा राज्य सरकार के संगठनों और जिलों को नवाचार के लिए छह पुरस्कार प्रदान किये गए.
केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को 15वें सिविल सेवा दिवस समारोहों का उद्घाटन किया था.